इस सप्ताह दलहन बाज़ार में एक नई हलचल देखी गई। गर्मी के मौसम में मंडियों में आवक में कमी और सीमित स्टॉक के चलते बाजार में भावों में मजबूती देखने को मिली। चना का बाजार एक बार फिर चर्चा में है – देशी चने की कीमतें इंदौर, कानपुर और आसपास की मंडियों में ₹6650 से ₹6850 प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं। गर्मी के असर से चने की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, जिससे अच्छे माल की मांग बढ़ रही है और मिलर्स व स्टॉकिस्ट दोनों खरीद में रुचि ले रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर, काबुली चना की चमक बरकरार है। 42/44 साइज के काबुली में ₹10,500 से ₹10,800 तक के भाव दर्ज हुए। मंडीदीप, सागर, और भोपाल जैसे क्षेत्रों में निर्यातकों की रुचि इस सप्ताह विशेष रही, जिससे बाजार में सपोर्ट बना रहा। छोटे साइज (58/60, 60/62) की भी खरीद तेज़ रही, खासकर थोक व्यापारियों की ओर से।
उड़द ने भी इस सप्ताह बेहतर संकेत दिए। चेन्नई और मुंबई बाजारों में बर्मी उड़द की उपलब्धता घटने से थोक खरीदारों ने लोकल उड़द में तेजी से खरीदारी की, जिससे ₹50–₹100 की तेजी देखी गई। हालांकि कुछ दक्षिण भारतीय मंडियों में मांग अभी धीमी बनी हुई है।
मूंग में मिश्रित रुख रहा। राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में कमजोर मांग के कारण हल्की गिरावट देखी गई, जबकि महाराष्ट्र में अच्छी गुणवत्ता वाले मूंग की मांग बनी रही। व्यापारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में मूंग के स्टॉक में और कमी आ सकती है, जिससे कीमतें समर्थन पा सकती हैं।
तुअर की स्थिति तुलनात्मक रूप से स्थिर रही, लेकिन कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में इसके अच्छे भाव बने हुए हैं। घरेलू मांग के साथ-साथ हल्की आयात गतिविधि के कारण यह बाजार संतुलित रहा।
निष्कर्ष:
चना और काबुली बाजार में अगुवाई कर रहे हैं, जहां गुणवत्तायुक्त माल की कमी ने तेजी को बढ़ावा दिया है। उड़द ने भी सप्लाई-साइड दवाब के चलते मजबूती दिखाई है। मूंग अभी भी कमजोर डिमांड से जूझ रहा है, परंतु आगे संभावनाएं हैं। तुअर की चाल स्थिर है, लेकिन तेजी के संकेत बन रहे हैं। आने वाले सप्ताहों में खरीफ सीज़न की बुवाई और मानसून की संभावनाएं इस बाज़ार की दिशा तय करेंगी।