सरसों और तिल के बाजार में गिरावट का रुख दिख रहा है। सरसों के दाम ₹500 तक नीचे गिर चुके हैं, और आगामी महीनों में और गिरावट की संभावना है। तिल की बुवाई क्षेत्र में कमी आई है, हालांकि पश्चिम बंगाल में तिल के दाम मजबूत हैं। किसानों और व्यापारियों को वर्तमान बाजार सेंटिमेंट को देखते हुए स्टॉक हल्का करते रहना चाहिए।
इस समय सरसों और तिल दोनों के बाजार में गिरावट का रुख दिख रहा है, जिससे किसानों और व्यापारियों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बन गई है। सरसों के दाम पिछले दो महीनों में लगातार गिरते जा रहे हैं, और जयपुर में इस समय सरसों की कंडीशन ₹6575 प्रति क्विंटल के आसपास चल रही है, जो पहले से ₹500 तक नीचे है।
सरसों के बाजार पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख कारण:
सरसों का स्टॉक: इस साल नाफेड द्वारा सरसों की बड़ी मात्रा में बिक्री के कारण सरकारी स्टॉक कमजोर हुआ है।
आवक में कमी: किसानों और स्टॉकिस्टों के पास सरसों का स्टॉक पिछले साल की तुलना में कमजोर है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार: पाम तेल के दाम ₹5200 प्रति क्विंटल के ऊपर चल रहे हैं, जो सरसों के भाव पर असर डाल रहे हैं। यदि पाम तेल में गिरावट आती है, तो सरसों के दाम और गिर सकते हैं।
बाजार सेंटिमेंट: बाजार का सेंटिमेंट कमजोर है, और वर्तमान में तेजी की उम्मीद कम है।
भावों का पूर्वानुमान:
मार्च आते-आते सरसों के भाव ₹6400 प्रति क्विंटल तक पहुंच सकते हैं। इस सीजन में ₹7000 के भाव की संभावना कम है, जब तक कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम तेल में कोई बड़ी तेजी न आए।
तिल बाजार की स्थिति:
इस साल तिल की बुवाई में भी कमी आई है। देशभर में तिल की बुवाई क्षेत्र घटकर 3,000 हेक्टेयर रह गया है, जबकि पिछले साल यह 7,000 हेक्टेयर था। हालांकि, तमिलनाडु और तेलंगाना में तिल की बुवाई में वृद्धि का अनुमान है।
तिल के व्यापार की स्थिति:
पश्चिम बंगाल में तिल के दाम मजबूत बने हुए हैं।
3 प्रीमियम एफएफ कंडीशन: ₹9,000-₹10,200 प्रति क्विंटल
2 प्रीमियम एफएफ कंडीशन: ₹10,000-₹10,200 प्रति क्विंटल
निष्कर्ष:
सरसों और तिल दोनों के बाजार में गिरावट का दौर जारी है, लेकिन तिल की मांग और अन्य कारकों के चलते कुछ सुधार की संभावना है। किसानों और व्यापारियों को वर्तमान बाजार सेंटिमेंट को ध्यान में रखते हुए अपने स्टॉक को हल्का करते रहना चाहिए, क्योंकि आगे चलकर इन बाजारों में और गिरावट की आशंका है।