नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और पश्चिमी भारत के प्रमुख बंदरगाहों—कांडला और मुंद्रा—पर परिचालन में आई रुकावट के चलते खाद्य तेल बाजार में भारी उथल-पुथल देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति आने वाले दिनों में खाद्य तेलों की आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकती है, जिससे कीमतों में तेज़ी बनी रह सकती है।
बीते दिन मुंद्रा बंदरगाह पर जहाजों की बर्थिंग पूरी तरह से रोक दी गई थी। साथ ही, कांडला और मुंद्रा दोनों बंदरगाहों पर सभी नौवहन गतिविधियाँ केवल दिन के उजाले तक सीमित कर दी गई थीं। रात के समय दोनों बंदरगाहों पर "ब्लैकआउट" घोषित किया गया, जिससे ऑपरेशंस पर अतिरिक्त दबाव बना हुआ है। हालाँकि कांडला बंदरगाह पर दिन में कोई आधिकारिक आपूर्ति रुकावट की सूचना नहीं मिली, लेकिन संचालन अब भी अस्थिर बना हुआ है।
बंदरगाह संचालन में आई इस बाधा के चलते खाद्य तेलों की आवाजाही धीमी हो गई है, जिससे सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। पोर्ट अथॉरिटी ने बर्थिंग और जहाजों के संचालन के लिए नई योजना बनाई है, लेकिन हालात सामान्य होने में समय लग सकता है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी खाद्य तेलों की कीमतों में मजबूती देखी जा रही है।
बाजार पर अंतरराष्ट्रीय असर:
CBOT (शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड) में सोया तेल की कीमतों में ₹2 प्रति किलो की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं, अर्जेंटीना से आयात होने वाले सोया तेल की कीमतों में $20 प्रति टन का उछाल देखा गया है। पाकिस्तान की ओर से अमेरिका से 2.25 लाख टन सोयाबीन के नए सौदे ने भी वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया है, जिससे अमेरिका में सोया तेल की मांग में वृद्धि दर्ज की गई है।
घरेलू बाजार पर असर:
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में सरसों और सोयाबीन जैसे तेल-तिलहन की कीमतें आज तेज़ खुल सकती हैं। हालांकि, रुपये की गिरती कीमत के कारण आयातित खाद्य तेल महंगा हो सकता है, जिससे उपभोक्ताओं और व्यापारियों पर लागत का दबाव बढ़ सकता है।
सलाह:
बाजार में अस्थिरता को देखते हुए व्यापारियों को अत्यधिक सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है। युद्ध और तनाव जैसे हालात में व्यापारिक फैसले जोखिम भरे हो सकते हैं।