केंद्र सरकार ने देश में खाद्य तेलों और दालों की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है, जिसके तहत चावल की खेती के क्षेत्र को 50 लाख हेक्टेयर तक घटाने और उत्पादन को 1 करोड़ टन तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। यह “-5, +10 योजना” सरकार के कृषि मंत्रालय की छह-सूत्रीय कार्ययोजना का एक प्रमुख हिस्सा है।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) द्वारा विकसित दो जीनोम-एडिटेड धान किस्मों के लॉन्च के अवसर पर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में धान की उपज कम है, वहां तिलहन और दलहन फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि इन आवश्यक खाद्य वस्तुओं का आयात घटे और देश आत्मनिर्भर बन सके।
2024-25 की खरीफ फसल (जुलाई-जून) के दौरान धान की बुवाई का क्षेत्र 47.83 मिलियन हेक्टेयर से घटकर 47.73 मिलियन हेक्टेयर रह गया, लेकिन उत्पादन बढ़कर 135.84 मिलियन टन हो गया, जो पहले 127.86 मिलियन टन था। वहीं, दालों का उत्पादन भी बढ़ा है—2024 में 23.02 मिलियन टन, जो पिछले वर्ष के 22.17 मिलियन टन से अधिक है।
कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि जीनोम-एडिटेड तकनीक के जरिए विकसित बीजों में कोई विदेशी जीन नहीं डाला गया है और यह तकनीक पूरी तरह सुरक्षित है। यह परंपरागत जेनेटिक मॉडिफिकेशन से अलग है और वैश्विक स्तर पर इसे बेहतर और लक्षित परिणामों के लिए अपनाया जा रहा है।
सरकार ने इसके अलावा किसानों को फसल विविधीकरण, प्राकृतिक खेती, उचित मूल्य निर्धारण और फसल क्षति सहायता जैसे विषयों पर भी सहयोग देने की बात कही है।