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विदेशी चने के भारी आयात से बाजार पर दबाव, कीमतों में गिरावट

भारत में चने का आयात बढ़ने से बाजार पर दबाव पड़ा है। कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों में नई फसल की आवक शुरू होने से चने के मूल्य में गिरावट आई है, हालांकि, न्यूनतम समर्थन मूल्य 5650 रुपये प्रति क्विंटल है। जनवरी से नवंबर 2024 तक भारत ने 93% अधिक चना आयात किया, जिसमें प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश ऑस्ट्रेलिया से 1.41 लाख टन चना था। सरकार ने 31 मार्च 2025 तक चना के कर-मुक्त आयात की अनुमति दी है, जिससे आपूर्ति बढ़ रही है। इसके अलावा, चने की बुवाई में वृद्धि और अनुकूल मौसम से उत्पादन में भी बढ़ोतरी की संभावना है।

Opinion 30 Jan
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मुंबई: कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों में नई चना फसल की आवक शुरू होते ही कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। हालांकि, मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5650 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले वर्ष के 5440 रुपये के मुकाबले 210 रुपये अधिक है, लेकिन मंडियों में बढ़ती आपूर्ति के चलते चना के दाम नीचे जाने लगे हैं। आगामी दिनों में आवक बढ़ने की संभावना है, जिससे मंदी का रुख बना रह सकता है।

पिछले साल जनवरी से दिसंबर के दौरान भारत में भारी मात्रा में पीली मटर के आयात के कारण चना की कीमतों पर दबाव पड़ा है। चालू 2024-25 रबी सीजन में 24 जनवरी तक चना की बुवाई 95.87 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 2.8% बढ़कर 98.55 लाख हेक्टेयर हो गई है, और अनुकूल मौसम के चलते उत्पादन में वृद्धि की संभावना है।

सरकार ने 31 मार्च 2025 तक चना के कर-मुक्त आयात की अनुमति दी है, जिससे विदेशी आपूर्ति बढ़ रही है। व्यापारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से नवंबर 2024 के दौरान भारत ने 2.32 लाख टन चना आयात किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 93% अधिक है। इसमें ऑस्ट्रेलिया से 1.41 लाख टन, तंजानिया से 70,687 टन, इथियोपिया से 8,837 टन, म्यांमार से 5,761 टन और अन्य देशों से 4,677 टन चना आयात किया गया।

ऑस्ट्रेलिया में चना उत्पादन अनुमानित 16.2 लाख टन से बढ़कर 19 लाख टन हो गया है, जिसमें से 10 लाख टन से अधिक का निर्यात होने की संभावना है। इसमें से 80-85% भारतीय बाजार में आ सकता है। अक्टूबर 2024 से शुरू हुए नए मार्केटिंग वर्ष के पहले दो महीनों में भारत ने ऑस्ट्रेलिया से चार गुना अधिक चना आयात किया। वर्ष 2023 के पूरे मार्केटिंग वर्ष में भारत ने 82,318 टन चना आयात किया था, जबकि 2024 के केवल अक्टूबर-नवंबर में यह मात्रा 4.27 लाख टन तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 1,494 टन के मुकाबले बहुत अधिक है।

बढ़ती घरेलू आवक और भारी आयात के चलते चना बाजार में मंदी का रुख बना हुआ है, जिससे किसानों और व्यापारियों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

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