देश में मक्का की घरेलू मांग में भारी वृद्धि देखी जा रही है, विशेष रूप से पशु आहार, पॉल्ट्री फीड, स्टार्च और एथनॉल उत्पादन के लिए इसकी खपत तेजी से बढ़ी है। इसी बढ़ती मांग के चलते निर्यात में कमी आई है, क्योंकि घरेलू खपत अधिक हो रही है और वैश्विक बाजार में भारतीय मक्का की प्रतिस्पर्धा कमजोर पड़ रही है। इसके अलावा, मक्का के घरेलू भावों में बढ़ोतरी भी निर्यात में गिरावट का एक प्रमुख कारण बन रही है।
वहीं, दूसरी ओर मक्का का आयात भी बढ़ा है, खासकर म्यांमार और यूक्रेन से, क्योंकि एथनॉल निर्माताओं की मांग लगातार बनी हुई है। हालांकि, भारत में जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) मक्का के आयात की अनुमति नहीं है, केवल गैर-जीएम मक्का का ही आयात किया जा सकता है। भारत से पहले नेपाल और दक्षिण-पूर्व एशिया को मक्का का निर्यात किया जाता था, लेकिन अब इसमें भारी गिरावट देखी गई है।
भारत में मक्का का उत्पादन मुख्य रूप से घरेलू खपत को पूरा करने में ही खप जाता है, जिससे निर्यात के लिए स्टॉक की उपलब्धता सीमित हो गई है। ऐसे में घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी और आयात निर्भरता बढ़ने से मक्का व्यापार पर असर पड़ रहा है।