सरसों बाजार में मिले जुले रुझान, उठा-पटक का माहौल, लेकिन लंबी अवधि में मजबूत रुख
सरसों बाजार में इस समय मिले जुले रुझान देखे जा रहे हैं, जिससे बाजार में उठापटक का माहौल बना हुआ है। मीलों की मजबूत मांग और नाफेड द्वारा खुले बाजार में माल की बिक्री से बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। नवंबर के शुरुआत में सरकारी एजेंसियों के पास 18 लाख टन सरसों का स्टॉक उपलब्ध है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। हालांकि, इस बार किसानों के पास माल कम है, और अधिक स्टॉक सरकारी हाथों में होने के कारण नीलामी में बिकवाली की गति पर असर पड़ सकता है।
नई दिल्ली: सरसों बाजार में इस समय मिले जुले रुझान देखे जा रहे हैं, जिससे बाजार में उठापटक का माहौल बना हुआ है। मीलों की मजबूत मांग और नाफेड द्वारा खुले बाजार में माल की बिक्री से बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। नवंबर के शुरुआत में सरकारी एजेंसियों के पास 18 लाख टन सरसों का स्टॉक उपलब्ध है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। हालांकि, इस बार किसानों के पास माल कम है, और अधिक स्टॉक सरकारी हाथों में होने के कारण नीलामी में बिकवाली की गति पर असर पड़ सकता है।
आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा स्टॉक औसतन 8 लाख टन की क्रशिंग क्षमता के हिसाब से नयी फसल आने तक पर्याप्त रहेगा, लेकिन कैरी फॉरवर्ड में स्टॉक बेहद सीमित रहेगा। इस साल सरसों की बुवाई पिछले वर्ष की तुलना में 9% कम है, और अब तक निर्धारित क्षेत्र का 63% बुवाई पूरी हो चुकी है। वहीं, अक्टूबर में बढ़ी गर्मी के कारण कई क्षेत्रों में सरसों की फसल को नुकसान हुआ, जिससे किसानों को फिर से बुवाई करनी पड़ी है।
सरसों तेल के बाजार में अक्टूबर के अंत से अब तक 5 रुपये प्रति किलो की तेजी देखी गई है। ठंड के मौसम में बढ़ी हुई मांग और सरसों के सीमित स्टॉक को देखते हुए, सरसों तेल में आगे हलचल बनी रहने की उम्मीद है।
कुल मिलाकर, निकट भविष्य में सरसों बाजार में उठा-पटक जारी रहेगा, लेकिन लंबी अवधि के दृष्टिकोण से बाजार का रुख मजबूत दिखाई देता है।