खरीफ फसलों के दाम MSP से 12-26% तक नीचे गिर गए हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। सोयाबीन, मूंगफली, और सूरजमुखी जैसी फसलों की कीमतें काफी कम हैं, जबकि तुअर और तिल MSP से अधिक दाम पर बिक रही हैं। उत्पादन में 21% गिरावट और MSP पर कानूनी गारंटी की कमी मुख्य कारण हैं। व्यापारी गिरावट का फायदा उठाकर स्टॉकिंग और सही समय पर ट्रेडिंग कर सकते हैं।
खरीफ फसलों की कीमतों में भारी गिरावट देखी जा रही है, जिससे किसान और व्यापारी दोनों प्रभावित हैं। वर्तमान में 7 फसलों के दाम मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 12-26% तक कम हैं। सिर्फ 3 फसलें ऐसी हैं जिनके दाम MSP से अधिक हैं।सोयाबीन: MSP ₹4892 प्रति क्विंटल है, लेकिन मंडियों में 15% कम दाम पर बिक रही है।
मूंगफली: MSP ₹6783 प्रति क्विंटल, जबकि बाजार में 21% नीचे।
सूरजमुखी: MSP से 22% कम दाम।
दलहन और मोटे अनाज की स्थिति:
उड़द: MSP ₹7400 प्रति क्विंटल से 2% नीचे।
मूंग: MSP ₹8682 प्रति क्विंटल से 21% कम।
मक्का, बाजरा, ज्वार, और रागी जैसे मोटे अनाज के दाम MSP से 3% से 26% तक कम हैं।
हालांकि, तुअर और तिल जैसी फसलें MSP से क्रमशः 29% और 25% अधिक दाम पर बिक रही हैं, जिससे व्यापारियों के लिए इन फसलों में निवेश का मौका बनता है।
कीमतों में गिरावट के कारण:
एग्री इकोनॉमिस्ट देवेंद्र शर्मा के अनुसार:
- MSP पर फोकस की कमी: पिछले 4 वर्षों से किसान MSP को कानूनी अधिकार बनाने की मांग कर रहे हैं।
- उत्पादन में कमी: फसलों का 21% उत्पादन घटा है।
- लंबे समय से MSP से कम दाम: सोयाबीन और अन्य फसलों के दाम कई वर्षों से MSP से नीचे बने हुए हैं।
व्यापारियों के लिए मौका:
कीमतों में गिरावट व्यापारियों के लिए कम दाम पर खरीदी और स्टॉक करने का अवसर प्रदान करती है।
तुअर और तिल जैसी फसलों में उच्च कीमतों पर ट्रेडिंग से मुनाफा कमाया जा सकता है।
सरकार और बाजार से उम्मीदें:
देवेंद्र शर्मा ने सुझाव दिया है कि सरकार को किसानों की मांग सुननी चाहिए और MSP को कानूनी अधिकार बनाने पर विचार करना चाहिए। मध्य प्रदेश में सोयाबीन के दाम ₹6000 प्रति क्विंटल तक बढ़ाने की मांग हो रही है।
Amotrade सुझाव:
इस स्थिति में व्यापारियों और किसानों को मार्केट ट्रेंड्स पर नजर रखते हुए फसलों की सही समय पर खरीदारी और बिक्री करनी चाहिए। Amotrade पर रोजाना मंडी भाव और कृषि समाचार अपडेट के जरिए स्मार्ट फैसले लें।