इस सप्ताह देश की प्रमुख अनाज मंडियों में दलहन उत्पादों के दामों में एक बार फिर गिरावट देखी गई है। बीते कुछ हफ्तों में आई थोड़ी स्थिरता के बाद इस बार बाजार में एक नई कमजोरी देखी जा रही है, जिससे व्यापारियों और किसानों दोनों की चिंता बढ़ गई है। चना, मसूर, उड़द और अरहर जैसे मुख्य दलहन उत्पादों की मांग कमजोर बनी रही, जिससे इनके भावों पर दबाव बना हुआ है।
चना देशी की कीमतें इस सप्ताह लगभग 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल नीचे आई हैं। खरीदारी की गति सुस्त होने के कारण मिलर्स ने बाजार से दूरी बनाए रखी है। वहीं कबूली चने की 40/42 और 44/46 जैसी प्रमुख किस्मों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। निर्यातकों की तरफ से भी कोई मजबूत मांग नहीं आई, जिससे बाजार को सहारा नहीं मिल पाया।
मसूर की स्थिति भी कुछ अलग नहीं रही। देशी और कनाडा मूल की मसूर की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल तक की नरमी देखी गई। व्यापारी बताते हैं कि रिटेल स्तर पर खपत कम है और कोई बड़ा ऑर्डर फिलहाल बाजार में नहीं आ रहा है। उड़द और तुअर जैसे उत्पादों में भी बाजार ठंडा रहा। दक्षिण भारत से मांग की कमी और सामान्य आवक के कारण इनके दाम स्थिर या नरम रहे।
विशेषज्ञों के अनुसार, दलहन बाजार पर इस समय कई कारक दबाव बना रहे हैं। घरेलू उपभोग स्थिर है, स्टॉक पहले से मौजूद हैं, और आयात विकल्प खुले हुए हैं। साथ ही, सरकारी एजेंसियों की खरीद सुस्त होने के कारण बाजार में कोई नया जोश नहीं दिख रहा है। व्यापारी फिलहाल सतर्क हैं और किसी भी बड़े स्टॉक से बचने की रणनीति अपना रहे हैं।
बाजार जानकारों का मानना है कि जब तक घरेलू खपत में कोई स्पष्ट बढ़ोतरी नहीं होती या सरकारी खरीद में तेजी नहीं आती, तब तक बाजार में स्थिरता की उम्मीद कम है। अगले कुछ सप्ताह मानसून की दिशा, निर्यात आदेशों और सरकारी खरीद नीति पर निर्भर करेंगे, जो आगे की चाल तय करेंगे।
निष्कर्षतः, इस सप्ताह दलहन बाजार कमजोर रुख में रहा है और खरीदारों की निष्क्रियता ने दामों पर दबाव बनाए रखा है। आने वाले दिनों में व्यापारियों को सतर्क रहकर कदम उठाने की सलाह दी जा रही है।