भारत में दलहन बाजार इन दिनों बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। आने वाले महीनों में चना की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि बाजार में इसकी आवक बेहद सीमित है। सरकार के पास भी आवश्यक स्टॉक नहीं है, जो प्रोटोकॉल के तहत बनाए रखना चाहिए। इसके अलावा, भारत दाल योजना भी बंद हो चुकी है, जिससे मार्केट में चना की उपलब्धता और भी प्रभावित हुई है।
सरकार की भूमिका और बाजार का समीकरण
वर्तमान परिदृश्य में सरकार के पास चना का कोई बड़ा स्टॉक नहीं है, जिससे वह बाजार दर को नियंत्रित कर सके। हालांकि, निकट भविष्य में डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। यहां एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि मटर एक विकल्प के रूप में सामने आ सकता है, क्योंकि सरकार इसे आयात कर सकती है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि मौजूदा बाज़ार रणनीति पूरी तरह सरकार के हाथों में है।
पिछले पांच वर्षों में सरकार की कृषि वस्तुओं पर विशेष नजर रही है, इसके बावजूद चने और गेहूं की कीमतों में उछाल आने की संभावना दिख रही है। गेहूं की मांग और सीमित आपूर्ति के चलते इसके बाजार में मजबूती आ सकती है।
तुअर और सोयाबीन पर बाजार का असर
तुअर (अरहर) दाल की कीमतों में इस साल ज्यादा उतार-चढ़ाव की संभावना नहीं है। यह बाजार रेंज-बाउंड रहने की उम्मीद है, यानी पूरे साल में केवल 200-300 रुपये की मामूली वृद्धि या गिरावट देखने को मिलेगी।
वहीं सोयाबीन में इस साल कोई विशेष तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि सरकार के पास 12 लाख टन का मजबूत स्टॉक मौजूद है। साथ ही, नाफेड द्वारा लगातार मार्केट ऑक्शन करवाए जा रहे हैं, जिससे सोयाबीन की कीमत स्थिर रहने की संभावना है।
अगले कुछ महीनों की संभावनाएं और सरकार की रणनीति
बाजार की हर दिशा फिलहाल सरकार के निर्णयों पर निर्भर है। यह देखने वाली बात होगी कि सरकार *मटर आयात* को कितना बढ़ावा देती है और अनाज की आपूर्ति को कैसे संतुलित करती है। कुल मिलाकर, आने वाले महीनों में चना और गेहूं में तेजी देखने को मिल सकती है, जबकि तुअर और सोयाबीन स्थिर रह सकते हैं।
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Shree Bunty Telmasare
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