देश के प्रमुख दाल बाजारों में इस सप्ताह तुअर के दाम स्थिर से कमजोर रुख में रहे। तुअर दाल में ग्राहकी बेहद नीरस बनी हुई है, जिससे कच्चे तुअर के लेवाली पर भी असर पड़ा है। देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी का प्रकोप है, जिसने दालों की मांग को और धीमा कर दिया है।
मार्च माह से ही तुअर दाल में मांग का रुख कमजोर बना हुआ है। गर्मियों के चरम में प्रवेश के साथ, मई महीने में भी तुअर दाल में कोई बड़ी सुधार की संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है। तुअर दाल की नीरस मांग के चलते तुअर के भाव पर लगातार दबाव बना हुआ है।
इम्पोर्टेड तुअर में कारोबार
देशी तुअर की तुलना में अफ्रीकी तुअर में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली है।
किसानों द्वारा कम भाव पर देशी तुअर की बिकवाली सुस्त है, जिसके कारण मिलर्स द्वारा लेमन तुअर में कुछ छिटपुट मांग बनी हुई है। हालांकि, अफ्रीका से आयातित तुअर में पूछताछ उल्लेखनीय रूप से कमजोर रही है, जिसके कारण आयातित तुअर में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली।
MSP पर सरकारी खरीद
सरकारी एजेंसियां भी इस बार सक्रिय दिख रही हैं। 22 अप्रैल 2025 तक नाफेड और एनसीसीएफ द्वारा 3.92 लाख टन तुअर की सरकारी खरीदी पूरी की जा चुकी है, जो किसानों के लिए राहत की बात है। इससे बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भरोसा बढ़ा है, हालांकि मांग की सुस्ती के कारण भाव में दबाव बना हुआ है।
बाजार का आउटलुक
रिपोर्ट के अनुसार, इस सीजन की शुरुआत से ही बेहतर उत्पादन को देखते हुए तुअर में बड़े स्टॉक ना रखने और सीमित कारोबार करने की सलाह दी गई थी। आने वाले दिनों में भी यही रणनीति जारी रहने की संभावना है। अगर जल्द ही तुअर दाल में मांग नहीं निकली, तो तुअर के दामों में ₹100 से ₹200 प्रति क्विंटल की गिरावट से इंकार नहीं किया जा सकता है।
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, देशी तुअर में सीमित दायरे में कारोबार करने की सलाह दी जा रही है। मांग में सुधार आने तक सावधानीपूर्वक व्यापार करना बुद्धिमानी होगी।