दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कई प्रमुख गेहूँ उत्पादक व उपभोक्ता राज्यों में इन दिनों गेहूँ की माँग कमजोर बनी हुई है। आटा मिलों और थोक व्यापारियों द्वारा खरीदारी में विशेष रूचि नहीं दिखाई जा रही, जिससे मंडियों में गेहूँ की आवक तो बनी हुई है, लेकिन उठाव धीमा होने से कीमतों पर दबाव देखने को मिल रहा है।
📉 मिलों का रुख और बाजार की चाल
मिलर्स फिलहाल अपनी आवश्यकता अनुसार ही गेहूँ की खरीद कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से गेहूँ में कोई बड़ा तेजी का संकेत नहीं मिला है, जिससे व्यापारी सतर्क मुद्रा में हैं। गेहूँ के थोक बाजारों में भाव ₹2300–₹2350 प्रति क्विंटल के आसपास बने हुए हैं। कुछ स्थानों पर गुणवत्ता के अनुसार ₹2260 तक के भी भाव दर्ज हुए।
🌾 किसान और व्यापारी दोनों चिंतित
किसान वर्ग को उम्मीद थी कि सरकार द्वारा खरीद समाप्त होते ही खुले बाजार में भाव तेज़ होंगे, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा। दूसरी ओर, व्यापारी वर्ग स्टॉक होल्डिंग में सतर्कता बरत रहा है, क्योंकि खुदरा मांग अभी कमजोर है और आगामी मानसून सत्र के चलते नकद प्रवाह भी धीमा है।
🚛 वितरण व्यवस्था और नीतिगत स्थिति
सरकारी एजेंसियों द्वारा MSP पर खरीद जारी है, जिससे खुले बाजार में गुणवत्ता वाले गेहूँ की उपलब्धता सीमित हो रही है। इसके बावजूद, बाजार में डिमांड की कमजोरी सप्लाई पर हावी होती नजर आ रही है। FCI और राज्य एजेंसियों द्वारा की जा रही खरीद का व्यापक प्रभाव निजी व्यापार पर दिख रहा है।
📊 आगे की संभावनाएँ
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, जब तक थोक और प्रोसेसिंग उद्योग से मजबूत मांग नहीं आती, तब तक गेहूँ में कोई स्थाई तेजी की संभावना कम है। हां, जून के अंत या जुलाई के पहले सप्ताह तक जैसे-जैसे मंडियों में आवक कम होगी और सरकारी खरीद थमेगी, वैसे-वैसे बाजार को स्थिरता मिल सकती है।
🔎 निष्कर्ष
वर्तमान में गेहूँ बाजार संतुलन की तलाश में है। किसानों, व्यापारियों और प्रोसेसिंग यूनिट्स के बीच अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में सभी हितधारकों को सलाह है कि वे बाजार की चाल पर बारीकी से नजर रखें और जल्दबाजी में कोई बड़ा स्टॉक निर्णय न लें।