सोयाबीन बाजार में इस समय वैश्विक घटनाक्रमों का सीधा असर देखा जा रहा है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ वॉर ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारी अस्थिरता पैदा कर दी है। अमेरिका द्वारा भारत और अन्य देशों पर ऊँचे आयात शुल्क लगाए जाने के जवाब में, चीन ने अमेरिका पर 34% तक का जवाबी टैरिफ लागू कर दिया है। इस व्यापारिक तनाव के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोयामील की मांग प्रभावित हुई है, जिससे कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है।
हालाँकि, चीन भारतीय सोयामील का मुख्य खरीदार नहीं है, इसलिए इन अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का सीधा लाभ भारत को नहीं मिल पा रहा है। इसके विपरीत, पिछले दो हफ्तों में भारतीय सोयामील की कीमतों में ₹3000–₹3500 प्रति टन की तेज़ बढ़त देखी गई है, जिससे निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ऊँचे दामों के कारण भारतीय सोयामील अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं रह गया है, जिससे निर्यात मांग में गिरावट आने की संभावना है।
वहीं, ब्राजील ने अपनी 85% सोयाबीन फसल की कटाई पूरी कर ली है और अर्जेंटीना भी जल्द ही कटाई शुरू करने जा रहा है। दक्षिण अमेरिकी देशों में बड़ी फसल की संभावना भी भारतीय सोयामील की वैश्विक मांग को और कमजोर कर सकती है।
घरेलू बाजार की बात करें तो, कीर्ति ब्रांड सोयाबीन के रेट हाल ही में ₹4800 प्रति क्विंटल तक पहुँच गए थे, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹4892 के काफी करीब है। लेकिन सोया तेल के बढ़ते आयात और सोयामील की सुस्त मांग के कारण सोयाबीन की कीमतों में ज़्यादा तेजी की संभावना सीमित है।
विशेषज्ञों ने पहले ही सलाह दी थी कि इस रैली का उपयोग करते हुए ₹4900 के आसपास स्टॉक खाली कर देना चाहिए। इस समय नेफेड ने भी अपनी सोयाबीन बिक्री को फिर से शुरू करने की घोषणा नहीं की है, जिससे बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सोयाबीन की कीमतें ₹4300–₹4400 के स्तर तक गिरती हैं, तो यह व्यापारियों के लिए एक अच्छा खरीदारी का मौका साबित हो सकता है। फिलहाल बाजार वैश्विक और घरेलू दोनों दबावों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।