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सरकारी नीलामी से पहले सोयाबीन बाजार में हलचल, कीमतों में उतार-चढ़ाव के संकेत

सोयाबीन बाजार एक बार फिर सरकार की रणनीतिक चालों के चलते सुर्खियों में है। 21 अप्रैल से नाफेड और एनसीसीएफ द्वारा सोयाबीन की सरकारी नीलामी दोबारा शुरू की जा रही है, जिसकी सूचना के बाद बाजार में हल्की...........

Opinion 21 Apr
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सोयाबीन बाजार एक बार फिर सरकार की रणनीतिक चालों के चलते सुर्खियों में है। 21 अप्रैल से नाफेड और एनसीसीएफ द्वारा सोयाबीन की सरकारी नीलामी दोबारा शुरू की जा रही है, जिसकी सूचना के बाद बाजार में हल्की गिरावट देखी गई। पिछले कुछ सप्ताहों में बिकवाली रुके होने के कारण प्लांट डिलीवरी भावों में 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी देखी गई थी, लेकिन अब नीलामी की खबर से 150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है।

क्यों रुकी थी पहले नीलामी?

मार्च में जब सोयाबीन के भाव एमएसपी से लगभग 800 रुपये प्रति क्विंटल नीचे थे, तब सरकार को भारी घाटा हो रहा था। इसी वजह से सरकारी नीलामी को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। अब जबकि भावों में कुछ रिकवरी हो चुकी है, सरकार दोबारा से नीलामी शुरू कर रही है।

स्टॉक और भाव का संतुलन

नाफेड और एनसीसीएफ के पास इस समय कुल 18 लाख टन से अधिक का स्टॉक है। हालांकि वर्तमान भाव अब भी एमएसपी से नीचे हैं, जिससे संकेत मिलते हैं कि सरकार को अब भी घाटा उठाना पड़ सकता है। ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि 150-200 रुपये से अधिक की गिरावट अब भी संभावित नहीं है।

कीर्ति प्लांट भाव ने छुआ 4900 का स्तर

सोयाबीन की तेजी के चलते कीर्ति प्लांट डिलीवरी रेट 4900 रुपये तक पहुंच चुका है, जो पहले से विश्लेषकों द्वारा अनुमानित लक्ष्य था। अब, सरकार की नीलामी शुरू होने के बाद बाजार में 4900 के ऊपर भाव में स्थिरता या और तेजी आना मुश्किल बताया जा रहा है।

बाजार का भविष्य कैसा रहेगा?

आगामी कुछ महीनों में सोयाबीन की कीमतों की दिशा मुख्यतः दो बातों पर निर्भर करेगी:

  1. सरकारी नीलामी का भाव और नीलाम की जाने वाली मात्रा

  2. किसानों की आगामी बुवाई में रुचि और मानसून की स्थिति

यह अनुमान जताया जा रहा है कि अब से अगस्त तक सोयाबीन सीमित दायरे में कारोबार करेगा, जबकि अगली बड़ी तेजी अगस्त से अक्टूबर के बीच देखने को मिल सकती है। इसके पीछे खरीफ बुवाई, मॉनसून की स्थिति और वैश्विक मांग जैसे कारक होंगे।

व्यापारियों के लिए सलाह:

जो व्यापारी पहले से स्टॉक रखे हुए हैं, उन्हें सुझाव है कि बिकवाली की किसी भी रैली में मुनाफावसूली करें, खासकर तब जब भाव 4900 या उससे ऊपर पहुंचें। नाफेड की बिकवाली के दौरान बाजार में उतार-चढ़ाव तेज हो सकता है, इसलिए व्यापार में सतर्कता बरतना जरूरी है।

निष्कर्ष:
सरसों की तरह अब सोयाबीन बाजार भी सरकारी रणनीतियों के इर्द-गिर्द घूमता नजर आ रहा है। आने वाले हफ्ते इस बात के लिए निर्णायक होंगे कि बाजार किस दिशा में आगे बढ़ता है — स्थिरता की ओर या फिर एक नई कीमत रेंज की ओर।

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