जनवरी महीने में सोयाबीन की आवक 11 लाख टन रही, जिससे अक्टूबर से जनवरी के बीच कुल आवक 57.5 लाख टन तक पहुंच गई। हालांकि, यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 4.5 लाख टन कम है। इस सीजन में अब तक कुल 42 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई है, जो पिछले साल के 47 लाख टन से 11% कम है। 1 फरवरी तक सरकारी स्टॉक सहित कुल सोयाबीन उपलब्धता लगभग 77.7 लाख टन आंकी गई है, जो पिछले साल के 82.01 लाख टन से 5.62% कम है।
बाजार में फिलहाल धीमी पेराई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोयामील की कमजोर मांग के चलते सोयाबीन की घरेलू मांग सुस्त बनी हुई है। सोया तेल के अधिक आयात और पेराई संयंत्रों के पास पर्याप्त स्टॉक होने के कारण खरीदारी में तेजी देखने को नहीं मिल रही। निर्यात के लिए कम नए सौदे रिपोर्ट किए जा रहे हैं, जिससे संयंत्र ऊंची दरों पर खरीदारी करने से बच रहे हैं। मौजूदा वैश्विक समीकरण को देखते हुए, ब्राजील और अर्जेंटीना में अच्छे उत्पादन के अनुमान से वैश्विक स्टॉक बढ़ने की संभावना है, जिससे निकट भविष्य में सोयाबीन बाजार में किसी बड़ी तेजी की उम्मीद कम है।
हालांकि, अगर सरकार आयात शुल्क बढ़ाकर या वायदा कारोबार फिर से शुरू करके हस्तक्षेप करती है, तो बाजार को कुछ राहत मिल सकती है। महाराष्ट्र के कीर्ति प्लांट में रेट 4300 रुपये के सपोर्ट लेवल के नीचे आ गए हैं, और अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो सोयाबीन में आगे और गिरावट देखने को मिल सकती है। ऐसे में व्यापारियों और किसानों के लिए सतर्कता जरूरी है।