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सोयाबीन बाजार में उतार-चढ़ाव: वैश्विक दबाव और सरकारी नीतियों के बीच कैसा रहेगा भविष्य?
ब्राजील, जो सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक देशों में से एक है, वहां इस साल 422 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, बाढ़ के कारण फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। यदि ब्राजील की आपूर्ति में कमी आती है, तो वैश्विक बाजार में कीमतों में सुधार संभव है।
Opinion
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21 Nov 2024
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र: सोयाबीन की प्रमुख खेती वाले इन राज्यों में पिछले कुछ महीनों में सोयाबीन के भाव में गिरावट देखने को मिली। हालांकि, हाल ही में कीमतों में थोड़ी वृद्धि दर्ज की गई, जो किसानों के लिए राहत लेकर आई।
भाव गिरने के कारण:
वैश्विक आपूर्ति में वृद्धि: अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन की अधिक आपूर्ति हो रही है, जो कीमतों पर दबाव बना रही है।
घरेलू मांग में कमी: भारत में मांग में गिरावट के चलते कीमतें प्रभावित हो रही हैं।
विदेशी बाजारों का असर: केएलसी और शिकागो जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आई गिरावट का सीधा असर घरेलू कीमतों पर पड़ रहा है।
ब्राजील और वैश्विक उत्पादन: ब्राजील, जो सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक देशों में से एक है, वहां इस साल 422 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, बाढ़ के कारण फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। यदि ब्राजील की आपूर्ति में कमी आती है, तो वैश्विक बाजार में कीमतों में सुधार संभव है।
अमेरिका का योगदान: अमेरिका में सोया तेल का स्टॉक कम है, और मांग बढ़ने की संभावना है। इसका लंबी अवधि में सोयाबीन के दाम पर सकारात्मक असर हो सकता है।
निकट और दीर्घकालिक दृष्टिकोण:
निकट अवधि में, बाजार पर दबाव बने रहने की उम्मीद है।
विदेशी बाजारों में सुधार और घरेलू मांग के बढ़ने पर 2024 में कीमतों में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल सकता है।
व्यापारियों और किसानों को घरेलू मांग को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले लेने चाहिए।
अंतिम सलाह: सरकार की नीतियों और वैश्विक बाजार में बदलाव के चलते आने वाले समय में सोयाबीन के भाव में स्थिरता और सुधार की संभावनाएं बनी हुई हैं। लेकिन फिलहाल बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सतर्कता से व्यापार करना आवश्यक है।