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उड़द बाजार: मांग में तेजी और सीमित आपूर्ति से कीमतों में मजबूती के संकेत
देश को अगले 10 महीनों में 18-20 लाख टन उड़द की जरूरत होगी, जबकि कुल आपूर्ति 15 लाख टन के आसपास रहने का अनुमान है। बर्मा से जल्द सप्लाई आने से अस्थिरता की संभावना है, लेकिन दीर्घकालिक फंडामेंटल मजबूत हैं। गिरावट पर खरीदारी और जनवरी-फरवरी में मांग के बढ़ने की उम्मीद से बाजार का भविष्य सकारात्मक नजर आ रहा है।
Opinion
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16 Dec 2024
पिछले सप्ताह उड़द बाजार में हल्की मजबूती देखने को मिली। सोमवार को चेन्नई एसक्यू 8925 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला और शनिवार शाम 9000 रुपये पर बंद हुआ। इस दौरान उड़द में +75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज हुई। सप्ताह के दौरान बाजार में मिला-जुला रुख रहा, लेकिन शुक्रवार और शनिवार को नई ग्राहकी निकलने से निचले स्तरों से भाव में सुधार देखा गया।
भविष्य की संभावनाएं और मांग का आकलन: लॉन्ग टर्म फंडामेंटल: देश में अगली बड़ी फसल अक्टूबर (खरीफ) में आएगी। अगले 10 महीनों में देश को कम से कम 18-20 लाख टन उड़द की आवश्यकता होगी। बर्मा: 9-9.5 लाख टन ब्राजील: 0.5 लाख टन घरेलू फसल: 4-5 लाख टन कुल मिलाकर यह 15 लाख टन है, जो मांग से कम है। इस कारण सप्लाई-डिमांड का अंतर उड़द के फंडामेंटल को मजबूत बना रहा है।
तकनीकी विश्लेषण: चेन्नई एसक्यू उड़द जब तक 8800 रुपये के ऊपर है, तब तक बाजार का रुख मजबूत बना रहेगा। आगे की मजबूती के लिए चेन्नई एसक्यू को 9325 रुपये का रेजिस्टेंस तोड़ना होगा।
सप्लाई और डिमांड का असर: बर्मा से अगले 1-2 सप्ताह में उड़द की नई सप्लाई आने की संभावना है, जिससे बाजार में थोड़ी अस्थिरता देखी जा सकती है। हालांकि, गिरावट पर खरीदारी करना बेहतर रहेगा क्योंकि जनवरी-फरवरी में मांग के बेहतर रहने की उम्मीद है।
निष्कर्ष: उड़द बाजार के फंडामेंटल मजबूत हैं। सप्लाई साइड टाइट है, और त्यौहारों के साथ बढ़ती मांग से भविष्य में कीमतों में मजबूती बने रहने की संभावना है। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बाजार सकारात्मक संकेत दे रहा है।