इस सप्ताह देश की विभिन्न अनाज मंडियों में व्यापारिक माहौल सुस्त और दबावपूर्ण बना रहा। प्रमुख खाद्यान्न जैसे गेहूं, मक्का, बाजरा और जौ की कीमतों में नर्मी दर्ज की गई, जबकि खरीदारों की गतिविधियाँ सीमित रहीं। व्यापारियों और स्टॉकिस्टों के अनुसार, घरेलू उपभोग में कोई नई मांग नहीं दिखने और सरकारी हस्तक्षेप की अनुपस्थिति में बाजार लगातार दबाव में है।
गेहूं की बात करें तो, इस सप्ताह विभिन्न मंडियों में कीमतों में लगभग 25 से 40 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट देखी गई। मिलर्स द्वारा सीमित मात्रा में ही खरीद की जा रही है, जबकि आटा मिलें भी केवल जरूरत भर का स्टॉक उठा रही हैं। देश के प्रमुख गेहूं व्यापार केंद्रों जैसे कानपुर, इंदौर और ग्वालियर में गेहूं के भावों में नरमी का रुझान बना रहा। बाजार सूत्रों का कहना है कि मंडियों में पुराना स्टॉक पर्याप्त मात्रा में मौजूद है और कोई विशेष सरकारी खरीद चालू नहीं है, जिससे भाव नीचे दबे हुए हैं।
मक्का बाजार में भी इस सप्ताह सुस्ती का माहौल बना रहा। फीड इंडस्ट्री से सीमित मांग आने के कारण मक्का की कीमतों में स्थिरता के साथ हल्की गिरावट दर्ज की गई। कुछ जगहों पर मक्का के भाव 50–70 रुपये प्रति क्विंटल तक गिरे हैं। मध्य प्रदेश और बिहार की मंडियों में आवक सामान्य रही, लेकिन खरीदारों की सक्रियता कम दिखी।
बाजरा और जौ में भी खरीद कमजोर रही। इन फसलों की खपत पहले ही सीमित है और नई मांग के अभाव में इनके दाम स्थिर से नरम रहे। बाजरा, जो मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में खाया जाता है, उसमें भाव स्थिर हैं, लेकिन कोई उत्साहजनक व्यापार नहीं हो रहा। जौ में भी ब्रुअरी इंडस्ट्री की सुस्ती के चलते सप्लाई बनी रही, लेकिन मांग में सुधार नहीं दिखा।
व्यापारियों का कहना है कि इस समय पूरा अनाज बाजार एक प्रतीक्षा की स्थिति में है। सभी की निगाहें मानसून की शुरुआत, सरकार की MSP खरीद नीतियों और मिलर्स की भविष्य की रणनीतियों पर टिकी हुई हैं। जब तक इन मोर्चों से कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता, तब तक बाजार में भारी उठापटक की संभावना कम है।
निष्कर्षतः, अनाज बाजार फिलहाल संतुलन की तलाश में है, लेकिन कमजोर मांग और पर्याप्त स्टॉक के कारण भाव दबाव में बने हुए हैं। व्यापारी फिलहाल सतर्क रुख अपनाए हुए हैं और बड़े सौदों से बच रहे हैं।