देश की प्रमुख अनाज मंडियों में इस सप्ताह गेहूं, मक्का और बाजरा के बाजारों में दिलचस्प उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। पंजाब के लुधियाना क्षेत्र में निजी व्यापारी इस बार गेहूं के सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरे हैं। अब तक जिले में खरीदे गए 1.14 लाख मीट्रिक टन गेहूं में से 38,224 मीट्रिक टन यानी लगभग 33.5% खरीद निजी व्यापारियों ने की है, जिससे वे सरकारी एजेंसियों जैसे मार्कफेड (22,171 MT), पनग्रेन (18,028 MT) और एफसीआई (4,961 MT) से आगे निकल गए हैं।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश और राजस्थान की मंडियों में गेहूं की आपूर्ति दोगुनी हो गई है, लेकिन सरकारी और गैर-सरकारी खरीद की सक्रियता से कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी देखी गई है। मध्यप्रदेश में भाव 2380 से 2425 रुपये/क्विंटल और राजस्थान में 2460 से 2500 रुपये/क्विंटल के बीच दर्ज हुए हैं। हालांकि, अब बढ़े भाव पर ग्राहकी कमजोर पड़ने से बाजार में स्थिरता देखी जा रही है।
दूसरी ओर, मक्के के बाजार में हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में गुणवत्ता अनुसार भाव 2580 से 2630 रुपये/क्विंटल तक पहुंचे। हालांकि, दो दिनों से मंडियों में मक्का की आवक बढ़ने से और गोदामों में स्टॉकिंग रुकने से अब मक्का में और तेजी की संभावना सीमित लग रही है। लगातार खपत वाली कंपनियों में माल की आपूर्ति जारी है, जिससे बाजार पर मंदी का दबाव महसूस किया जा सकता है।
बाजरा बाजार की बात करें तो सरकार द्वारा बफर स्टॉक से मंदे भाव पर नीलामी के चलते हाल में इसमें गिरावट देखी गई थी। हालांकि, घटे हुए भाव में लगातार खरीददारी ने बाजार को फिर मजबूती प्रदान की है। वर्तमान भावों में और तेजी की संभावना बन रही है क्योंकि गर्मी वाली बाजरे की बुवाई में कमी देखी जा रही है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में यह मजबूती लंबी चल सकती है, और समय-समय पर मुनाफा बुक करना उचित रहेगा।
कुल मिलाकर, इन प्रमुख अनाजों के बाजार में खरीद और सप्लाई के बीच संतुलन आने वाले हफ्तों में इनकी दिशा तय करेगा, और व्यापारियों को सावधानीपूर्वक रणनीति बनाने की आवश्यकता है।