पिछले सप्ताह मंडी मार्केट मीडिया ने अपनी रिपोर्ट और वीडियो में बताया था कि 1509 धान के भाव ₹3400–₹3500 प्रति क्विंटल की रेंज में पहुँच चुके हैं और किसानों को माल निकालने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि उस समय चावल के भाव में कोई खास तेजी नहीं दिख रही थी। अब स्थिति यह है कि धान का बाजार अपने ऊपरी स्तरों से लगभग ₹300 नीचे आ चुका है। पंजाब में जो भाव ₹3500 से ऊपर निकल गए थे, वे अब ₹3100–₹3200 की रेंज में आ गए हैं, जबकि हरियाणा में जो भाव ₹3400 थे, वे अब ₹3000–₹3150 के बीच रह गए हैं। लगातार गिरावट ने बाजार को मंदी की तरफ धकेल दिया है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या धान के भाव ₹3000 से नीचे चले जाएंगे।
बाजार में आई इस गिरावट को समझने के लिए उसके कारणों पर नज़र डालना जरूरी है। बाढ़ की वजह से पाकिस्तान और भारत के पंजाब में लगभग 25% तथा हरियाणा में 5–7% बासमती फसल खराब होने की आशंका से पहले बाजार में तेजी आई थी। हमने भी 20 दिन पहले संकेत दिया था कि बाजार में तेजी आ सकती है। लेकिन अब पंजाब की मंडियों में भारी आवक शुरू हो गई है — अमृतसर मंडी में आवक 2.25 लाख बोरी तक पहुँच गई है। इसी तरह हरियाणा की कई मंडियों में भी तेजी से आवक बढ़ रही है। बहुत सी मंडियां, जहां पहले आवक नहीं हो रही थी, वहां भी अब तेजी से माल आ रहा है। इसी बढ़ती सप्लाई ने बाजार पर दबाव बना दिया है।
इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में 1509 सेला चावल के दाम पिछले तीन महीनों में मात्र ₹100 बढ़े हैं, जबकि धान का रेट ₹600 उछल गया था। ऊपर से निर्यात मांग भी कई दिनों से सुस्त चल रही है और आमतौर पर सितंबर में वैसे भी निर्यात कमजोर ही रहता है। इसलिए यह करेक्शन स्वाभाविक लग रहा है।
आगे की बात करें तो बाजार को 30–31 अक्टूबर को BIRC दिल्ली में होने वाले आयोजन से बड़े ऑर्डर की उम्मीद है। साथ ही पिछले साल चावल के अच्छे निर्यात और वर्तमान चावल भाव को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि 1509 धान ₹3000 के नीचे जाएगा। इसलिए जिन किसानों और व्यापारियों को बहुत बड़ी मंदी का डर है, उन्हें ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है और उन्हें अपने विवेक से व्यापार करना चाहिए।