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अरहर MSP में बढ़ोतरी: क्या यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक निर्णायक कदम है?

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए अरहर (तुअर) दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाकर ₹8000 प्रति क्विंटल कर दिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ₹450 अधिक है। यह करीब 6% की वृद्धि है। यह निर्णय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा 14 खरीफ फसलों के लिए ..........

Business 05 Jun  Krishi Jagat
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केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए अरहर (तुअर) दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाकर ₹8000 प्रति क्विंटल कर दिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ₹450 अधिक है। यह करीब 6% की वृद्धि है। यह निर्णय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा 14 खरीफ फसलों के लिए नए MSP को मंजूरी देने के साथ लिया गया।

लागत और लाभ का समीकरण

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अरहर की उत्पादन लागत ₹5038 प्रति क्विंटल आंकी गई है। इस पर 59% लाभ मार्जिन जोड़कर नया MSP ₹8000 तय किया गया है। यह वही फार्मूला है जिसे 2018-19 के केंद्रीय बजट में अपनाया गया था, जिसके तहत किसानों को उनकी लागत का कम-से-कम डेढ़ गुना मूल्य देने का वादा किया गया था।


अगर पिछले वर्षों के MSP की बात करें, तो वर्ष 2013-14 में अरहर का MSP ₹4300 प्रति क्विंटल था, जो 2020-21 में बढ़कर ₹6000 हुआ। इसके बाद क्रमशः 2021-22 में ₹6300, 2022-23 में ₹6600, 2023-24 में ₹7000 और 2024-25 में ₹7550 रहा। अब 2025-26 के लिए यह ₹8000 पर पहुंच गया है।

आत्मनिर्भरता की दिशा में संकेत

अरहर भारत की प्रमुख दालों में से एक है जिसकी मांग हर साल अधिक रहती है, लेकिन उत्पादन अपेक्षाकृत कम होता है। इस अंतर को भरने के लिए भारत को बड़ी मात्रा में अरहर का आयात करना पड़ता है, खासकर अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई देशों से। ऐसे में MSP में यह बढ़ोतरी "आत्मनिर्भर भारत" की दिशा में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जा रही है।


क्या केवल MSP काफी है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्फ मूल्य बढ़ाने से आत्मनिर्भरता हासिल नहीं की जा सकती। इसके लिए जरूरी है कि सरकार व्यापक फसल योजना, उन्नत बीज, सिंचाई सुविधाएं, और सबसे अहम — सरकारी खरीद की गारंटी सुनिश्चित करे।


दालों को प्राथमिकता में स्थान

हालांकि MSP में बढ़ोतरी के लिहाज़ से अरहर टॉप चार फसलों में नहीं है, फिर भी इसे मक्का और बाजरा जैसी फसलों के साथ उस श्रेणी में रखा गया है जिन पर 59% तक का लाभ मार्जिन तय किया गया है। यह दर्शाता है कि दालें अब सरकार की प्राथमिकता सूची में ऊपर आ रही हैं।


निष्कर्ष

अरहर के MSP में यह बढ़ोतरी सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है जो दालों की घरेलू आपूर्ति को मजबूत करना चाहती है। हालांकि यह एक जरूरी कदम है, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि ज़मीनी स्तर पर किसानों को कितनी मदद मिलती है और पूरी प्रणाली किस हद तक प्रभावी ढंग से लागू होती है।

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