मक्का बाजार में लगातार बढ़ती आवक और कमजोर मांग के कारण दबाव अभी भी खत्म नहीं हुआ है। कई मंडियों में भाव स्थिर तो रहे, लेकिन 10–30 रुपये प्रति क्विंटल की हल्की गिरावट का दौर कल भी जारी रहा। स्टॉकिस्टों द्वारा पहले से बने स्टॉक और नए माल की अधिक आवक के चलते बाजार में कमजोरी बनी हुई है।
उत्तर महाराष्ट्र में 15% नमी वाला मक्का ₹1,650 पर ट्रेड हुआ, जबकि इंदौर में भाव ₹1,700 दर्ज किए गए। तिरूपति में ₹1,835, नीमच में ₹1,820, खरगोन ₹1,700 और कारसगंज में ₹1,800 के करीब रहे। पोल्ट्री फीड इंडस्ट्री का रेट ₹2,150 और इचलकरंजी में प्रोसेसिंग रेट लगभग ₹1,875 निर्धारित रहा। कर्नाटक के बंगलोटे में प्रोसेसर ने सीधे ₹30 घटाकर नया भाव ₹1,870 लगा दिया, जो स्पष्ट संकेत है कि प्रोसेसर अभी किसी भाव बढ़ोतरी को सपोर्ट करने के मूड में नहीं हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मक्का के दाम अब इतने नीचे आ चुके हैं कि आगे बड़ी गिरावट की संभावना कम है। यदि बाजार अगले कुछ दिनों में स्थिर रहता है, तो लंबी अवधि के लिए रुक-रुककर स्टॉक बनाना एक सही रणनीति हो सकता है। हालांकि, इस वर्ष उत्पादन 10–15% अधिक माना जा रहा है, जबकि मांग पहले जैसी तेज नहीं है, जिससे फिलहाल बड़े उछाल की उम्मीद कमजोर दिखती है।
सरकारी नीतियां अभी भी एक बड़ा सवाल बनी हुई हैं। एथेनॉल ब्लेंडिंग के लिए मक्का की आवश्यकता बढ़ रही है, लेकिन FCI की नीति में अनिश्चितता के कारण बाजार दुविधा में है। मांग किसी भी समय तेज हो सकती है, जिससे आगे भावों में बदलाव संभव है।
विशेषज्ञों के अनुसार अगले 1–10 दिन बाजार के लिए बेहद अहम साबित होंगे। इसी अवधि में मंडियों की गतिविधियां और खरीदारों का रुझान आगे की दिशा तय करेगा। वर्तमान स्थिति में सप्लाई अधिक और डिमांड शांत है, इसलिए भाव कमजोर हैं, लेकिन अब कीमतें नीचे के स्तर पर टिक गई हैं और गिरावट की रफ्तार धीमी होती दिख रही है।
निष्कर्ष:
मक्का बाजार फिलहाल निचले स्तर पर है और आगे बड़ी गिरावट की संभावना कम मानी जा रही है। यदि आप स्टॉक बनाने की सोच रहे हैं तो अगले 1–10 दिनों में धीरे-धीरे खरीदारी करना लाभदायक हो सकता है। हालांकि, किसी भी अप्रत्याशित सरकारी नीति बदलाव या अचानक मांग बढ़ने से बाजार में टर्निंग पॉइंट भी आ सकता है।