चना बाजार में इस समय मजबूती का माहौल है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में चना की मिलकत कमजोर है, जिससे इन राज्यों के व्यापारी उत्तर भारत जैसे अन्य राज्यों से चना की खरीद कर रहे हैं। बाजार में बिकवाली का स्तर भी कमजोर बना हुआ है, जिसके चलते मिलर्स और फुटाने व्यापारी पर्याप्त मात्रा में चना नहीं खरीद पा रहे हैं। यह स्थिति मांग तो बनी रहने के बावजूद आपूर्ति में रुकावट पैदा कर रही है।
सरकारी खरीद भी इस बार कमजोर रही है। सरकार अब तक मात्र 3.20 लाख टन चना ही खरीद पाई है, जो कि अपेक्षा से काफी कम है। इससे सरकारी भंडारण स्तर भी कमजोर माना जा रहा है और बाज़ार को सरकारी समर्थन मिलने की उम्मीदें भी घट गई हैं।
वहीं आयात भी कोई आसान विकल्प नहीं रह गया है।
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ऑस्ट्रेलियाई चना की कीमत लगभग $610/टन है, जो ₹6116/क्विंटल पड़ता है (10% आयात शुल्क सहित)
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तंज़ानिया चना का पड़तल मूल्य ₹6000/क्विंटल है
इन दोनों की कीमतें घरेलू चना से अधिक हैं, जिससे आयात व्यवहारिक विकल्प नहीं बन पा रहा।
अगस्त महीने में पारंपरिक रूप से चना की डिमांड में तेजी देखी जाती है। ऐसे में बाजार में यह उम्मीद है कि मांग के सपोर्ट से भाव और ऊपर जा सकते हैं।
तकनीकी दृष्टिकोण से दिल्ली बाजार में:
मिलकत की स्थिति, सरकारी खरीद के आंकड़े और आयात मूल्य—all संकेत दे रहे हैं कि निकट भविष्य में चना की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है।