इस सप्ताह चना बाजार में शुरुआती सुधार के बाद फिर से गिरावट का दौर देखने को मिला। ऊँचे भावों पर ग्राहकी का सपोर्ट नहीं मिलने से दिल्ली सहित अन्य प्रमुख मंडियों में बिल्टी चना के भाव 50–75 रुपये प्रति क्विंटल तक नरम पड़े।
दिल्ली में चना 75 रुपये टूटकर राजस्थान लाइन 6025–6050 रुपये और मध्य प्रदेश लाइन 5975–6000 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया। मुंबई में आयातित तंज़ानिया चना 75 रुपये घटकर 5650 रुपये पर बंद हुआ। वहीं, अकोला में बिल्टी चना 25 रुपये घटकर 6125–6225 रुपये और नागपुर में कंडिशन चना 25 रुपये गिरकर 6050–6075 रुपये पर पहुंचा। इसी तरह जयपुर में भी चना 50 रुपये कमजोर होकर 6050 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया।
बाजार में फिलहाल लेवाल खरीदी सीमित बनी हुई है, जबकि बिकवाल भी कम भावों पर अधिक रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कुल मिलाकर डिमांड और सप्लाई की स्थिति स्थिर पड़ी हुई है। चना दाल और बेसन की सुस्त मांग से भी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया से सस्ते चने की आगामी खेपों ने भी बाजार की धारणा को कमजोर कर रखा है।
व्यापारिक जानकारों का अनुमान है कि नवरात्रि से पहले चना बाजार की ग्राहकी में कुछ सुधार संभव है। इसके अलावा यदि पीली मटर पर 50% आयात शुल्क का नोटिफिकेशन जारी होता है, तो इस खबर से तुअर समेत चना बाजार को भी सपोर्ट मिल सकता है। हालांकि फिलहाल इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, जिससे बाजार का सेंटीमेंट स्थिर से कमजोर बना हुआ है। साथ ही, ऑस्ट्रेलियाई चने की संभावित खेपों को देखते हुए निकट भविष्य में भावों में बड़ी तेजी की संभावना भी कम मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में चना बाजार रेंजबाउंड रह सकता है और फिलहाल इसमें तेजी के कोई स्पष्ट संकेत नहीं हैं। दालों की मांग में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है, जिसके चलते निकट भविष्य में बाजार में किसी बड़े उतार-चढ़ाव की संभावना कम ही नजर आ रही है।