बासमती धान और चावल को लेकर जो अनुमान एक महीने पहले लगाए गए थे, वे अब पूरी तरह सटीक साबित हो रहे हैं। खासतौर पर 1509 साठी धान की फसल कमजोर रहने की बात पहले ही साफ कर दी गई थी, और अब यही बात बाजार में तेजी का मुख्य आधार बन चुकी है।
वर्तमान में गढ़मुक्तेश्वर, गंगोह, करनाल, नरेला और जहांगीराबाद जैसी प्रमुख मंडियों में 1509 साठी धान के रेट पिछले साल के मुकाबले ₹500–₹600 अधिक हैं। पिछले वर्ष जहां इन मंडियों में दाम ₹2400–₹2500/क्विंटल थे, वहीं अब गढ़मुक्तेश्वर में ₹2981, गंगोह में ₹3125, करनाल में ₹3050 और जहांगीराबाद में ₹3150/क्विंटल तक पहुंच चुके हैं।
आवक के आंकड़े भी तेजी के पक्ष में हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार धान की आवक महज 20–25% ही रह गई है। उदाहरण के तौर पर, 12 जुलाई को गढ़मुक्तेश्वर में सिर्फ 1500 बोरी धान आई, जबकि पिछले साल इसी तारीख को 15000 बोरी की आवक थी। करनाल में इस बार 2500–3000 बोरी आई जबकि पिछले साल 12000 और जहांगीराबाद में सिर्फ 1200 बोरी आई जबकि पिछले साल यह संख्या 5000 थी।
इसी के साथ बासमती चावल के रेट भी मजबूती दिखा रहे हैं —
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1718 सेला: ₹6700
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1509 सेला: ₹6000
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1121 स्टीम: ₹8400–₹8600, सेला: ₹7250
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1401 स्टीम: ₹6900–₹7000, सेला: ₹6400
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1885 सेला: ₹6900–₹7000
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1847 सेला: ₹6000–₹6050
बाजार में अफवाहें फैलाकर भाव दबाने की कोशिशें हो रही थीं, लेकिन सच्चाई यह है कि स्टॉक सीमित है, नई फसल कमजोर है और निर्यात में बढ़त बनी हुई है। ईरान-इजरायल संघर्ष की वजह से थोड़ी रुकावट आई थी, लेकिन अब हालात सामान्य हैं और विदेशी मांग अच्छी बनी हुई है।
इस समय बासमती का मौलिक आधार (फंडामेंटल) बेहद मजबूत है, और मौजूदा भाव अभी भी पूरी तरह से इन मजबूत संकेतों को नहीं दर्शाते। अनुमान है कि आने वाले दिनों में बासमती चावल के रेट में कम से कम ₹300 प्रति क्विंटल की और तेजी आ सकती है। हालांकि, व्यापारियों को सलाह है कि वे सौदे सोच-समझकर और अपने विवेक से करें।