सोमवार को अंतरराष्ट्रीय गेहूं बाजार में मिश्रित रुझान रहा। अमेरिका के विंटर व्हीट (जो हमारे यहां रबी गेहूं जैसा होता है) में कमजोरी दिखी, जबकि स्प्रिंग व्हीट (हल्की गर्मी वाले इलाकों में बोया जाने वाला गेहूं) मजबूत रहा।
🔹 बाज़ार का हाल
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शिकागो SRW गेहूं 4–5 सेंट नीचे बंद
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कैनसस HRW गेहूं 3–4 सेंट नीचे
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मिनियापोलिस स्प्रिंग व्हीट 0–3 सेंट मजबूत
(इनको आप ऐसे समझें: SRW और HRW मुख्य रूप से बिस्किट-मैदा उद्योग में जाते हैं, जबकि स्प्रिंग व्हीट में प्रोटीन ज्यादा होता है, इसलिए उसकी डिमांड बनी रहती है।)
🔹 अमेरिका में फसल की स्थिति
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विंटर व्हीट की बुवाई 97% पूरी — सामान्य गति पर
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87% फसल निकल चुकी (emergence) — औसत से थोड़ा पीछे
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48% फसल Good/Excellent ग्रेड में — पिछले सप्ताह से बेहतर लेकिन पिछले साल से कमजोर
(यह डेटा भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका की फसल की स्थिति अंतरराष्ट्रीय कीमतों को सीधे प्रभावित करती है।)
🔹 अमेरिकी निर्यात तेज
पिछले सप्ताह अमेरिका से 4.74 लाख टन गेहूं का निर्यात हुआ —
सबसे बड़े खरीदार:
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फिलीपींस – 88,074 टन
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बांग्लादेश – 56,890 टन
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मेक्सिको – 55,778 टन
कुल मार्केटिंग ईयर में अब तक 1.284 करोड़ टन निर्यात हो चुका है — पिछले साल से करीब 20% ज्यादा।
🔹 भारतीय व्यापारियों के लिए क्या मतलब?
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अंतरराष्ट्रीय गेहूं के कमजोर होने से भारतीय बाजार पर भी दबाव बन सकता है।
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स्प्रिंग व्हीट की मजबूती यह दिखाती है कि बेहतर क्वालिटी वाले गेहूं की वैश्विक मांग अभी भी अच्छी है।
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अमेरिकी निर्यात तेज होने से निर्यातक देश कीमतें बहुत नीचे नहीं आने देंगे — यानी अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक ‘फ्लोर प्राइस’ बन सकता है।
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भारत में मिलों और ट्रेडर्स को अगले 1–2 हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय संकेतों पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि CBOT ट्रेंड अक्सर इंडियन डेरिवेटिव्स और मंडी सेंटिमेंट पर असर डालते हैं।
🔹 प्रमुख कॉन्ट्रैक्ट्स का क्लोज़ (सरल रूप में)