आयात शुल्क वृद्धि और शादी के मौसम की मांग के बीच खाद्य तेल की कीमतों में उछाल
हाल ही में सरकार द्वारा आयात शुल्क में वृद्धि के बाद खाद्य तेलों की कीमतों में 10-15% की बढ़ोतरी देखी गई। पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेल इस वृद्धि से प्रभावित हुए हैं। त्योहारी सीजन और शादी के मौसम ने मांग को स्थिर बनाए रखा, जिससे कीमतों में यह उछाल और भी तेज हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर से जून तक चलने वाले इस साल के असामान्य रूप से लंबे शादी के मौसम ने खपत को बढ़ावा दिया है।
कीमतों में तेजी और कारण
हाल ही में सरकार द्वारा आयात शुल्क में वृद्धि के बाद खाद्य तेलों की कीमतों में 10-15% की बढ़ोतरी देखी गई। पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेल इस वृद्धि से प्रभावित हुए हैं।
त्योहारी सीजन और शादी के मौसम ने मांग को स्थिर बनाए रखा, जिससे कीमतों में यह उछाल और भी तेज हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर से जून तक चलने वाले इस साल के असामान्य रूप से लंबे शादी के मौसम ने खपत को बढ़ावा दिया है।
आयात पर प्रभाव
भारत, जो अपनी 60% खाद्य तेल जरूरतें आयात करता है, ने शुल्क वृद्धि के बाद आयात में गिरावट देखी। कच्चे और परिष्कृत खाद्य तेलों पर 22% शुल्क वृद्धि के चलते 2023-24 के तेल विपणन वर्ष (नवंबर से अक्टूबर) में आयात 3.09% घटकर 159.6 लाख टन रह गया।
मुद्रास्फीति और कंपनियों की रणनीतियाँ
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, कंपनियां मूल्य वृद्धि को चरणबद्ध तरीके से लागू कर रही हैं। पहले चरण में 10-15% की वृद्धि हुई, जबकि दूसरी वृद्धि 7-10% की होने की संभावना है।
निष्कर्ष
आयात शुल्क वृद्धि और शादी के मौसम की मजबूत मांग के कारण खाद्य तेल उद्योग में उतार-चढ़ाव जारी है। कीमतों में बढ़ोतरी से कंपनियां लाभदायक वृद्धि की कोशिश कर रही हैं, लेकिन यह आम उपभोक्ता के बजट पर प्रभाव डाल सकती है।