काबुली चना और चना बाजार में मजबूती, मांग और आवक के बीच आगे की दिशा पर नजर
पिछले सप्ताह काबुली चने के भाव 300 रुपये बढ़कर 15000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचे, जबकि चना बाजार में भी हल्की मजबूती देखी गई। काबुली चने की कमजोर आवक और बढ़ती मांग से भाव में मजबूती आई, वहीं चना में तेजी मुख्य रूप से सट्टात्मक थी, क्योंकि दाल में ग्राहकी कमजोर रही। ऑस्ट्रेलिया चने की मांग में वृद्धि हो रही है, जबकि मटर के आयात ने चने की डिमांड पर असर डाला है। आगे काबुली चने के भाव में और मजबूती की उम्मीद है, जबकि चने का भविष्य मौसम और बोआई पर निर्भर करेगा।
पिछले सप्ताह काबुली चने और चना दोनों के बाजार में मजबूती का रुख देखा गया। इंदौर में काबुली चना (40/42 काउंट) सोमवार को 14700 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला और शनिवार को 15000 रुपये पर बंद हुआ। मांग में सुधार से काबुली चने के भाव में 300 रुपये की बढ़त दर्ज हुई। हालांकि, 50 दिनों के मूविंग एवरेज से नीचे आने के बाद गिरावट के संकेत मिले थे, लेकिन पिछले सप्ताह हल्की रिकवरी के साथ 200 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार देखने को मिला।
काबुली चने की स्थिति:
इंदौर मंडी को छोड़कर देशभर में काबुली चने की आवक कमजोर बनी हुई है। व्यापारियों के पास स्टॉक लगभग खाली हैं। मध्य प्रदेश में काबुली चने की बोआई 40% तक कम बताई जा रही है, जिससे आगामी फसल 25-30% तक कम रहने की संभावना है। इसके अलावा, नए वर्ष के लिए कैरी फॉरवर्ड स्टॉक शून्य होने की उम्मीद है। जानकारों का कहना है कि कमजोर उपलब्धता और बढ़ती मांग के चलते काबुली चने के भाव में मजबूती के आसार हैं। हालांकि, 42-44 काउंट के काबुली चने का 15000 रुपये के ऊपर बंद होना बड़े खरीदारों के लिए बेहतर रहेगा।
चना बाजार की स्थिति:
सप्ताह के दौरान चना में भी मजबूती दर्ज की गई, जिसे कमजोर आवक और सीमित ग्राहकी का समर्थन मिला। हालांकि, चने में यह तेजी सट्टात्मक ज्यादा नजर आ रही है, क्योंकि 250 रुपये की तेजी के बावजूद चना दाल में सिर्फ 50 रुपये की बढ़त दर्ज हुई। मजबूत तेजी के लिए चना दाल और बेसन में ग्राहकी बढ़ना जरूरी है।
ऑस्ट्रेलिया चना की मांग:
देशी चने की कमजोर उपलब्धता के कारण ऑस्ट्रेलिया चना की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। इस महीने ऑस्ट्रेलिया से 2 जहाज भारत पहुंचने की रिपोर्ट है, और जनवरी में आयात बढ़ने की संभावना है। हालांकि, मटर के बेलगाम आयात से चने की डिमांड प्रभावित हुई है। अब तक भारत ने 26 लाख टन मटर का आयात किया है, जिससे चने के बाजार पर दबाव बना हुआ है।
भविष्य का अनुमान:
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चने की बोआई बेहतर है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह 5-10% कमजोर रह सकती है। चने की आगे की दिशा जनवरी के मौसम और यील्ड पर निर्भर करेगी। जानकारों का कहना है कि दिल्ली चने का 7325 रुपये के ऊपर निकलना बड़ी तेजी के लिए जरूरी है। फिलहाल, चने में तेजी दिख रही है, लेकिन चना दाल की सुस्त मांग इसे कमजोर बना रही है।
निष्कर्ष:
काबुली चने में कमजोर बोआई और बढ़ती मांग से मजबूती की संभावना है, जबकि चने में ग्राहकी और मौसम की स्थिति भाव तय करेंगे। व्यापारी सीमित कारोबार के साथ सतर्कता बरतें, क्योंकि चने की मौजूदा तेजी सट्टात्मक दिखाई दे रही है।