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दालों की कीमतों में गिरावट, व्यापारियों को सीमित दायरे में व्यापार की सलाह
उड़द, अरहर और चना के बाजार में गिरावट का रुझान देखा जा रहा है। उड़द की कीमतें तीसरे दिन भी मंदी का सामना कर रही हैं, जबकि अरहर की कीमतों में लगातार गिरावट जारी है, मुख्य रूप से आयातित माल के कारण। चना का आयात भी बढ़ रहा है, लेकिन नई फसल आने में कुछ समय है। दाल मिलों की मांग कम होने से इन सभी दालों के बाजार पर दबाव है, और व्यापारी इनकी कीमतों में बड़ी गिरावट या तेजी की संभावना कम मान रहे हैं। इन दालों में सीमित दायरे में व्यापार करने की सलाह दी जा रही है।
Opinion
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24 Dec 2024
उड़द, अरहर और चना के बाजार में हालात कुछ अस्थिर बने हुए हैं। उड़द की कीमतें तीसरे दिन भी मंदी का सामना कर रही हैं, विशेष रूप से म्यांमार से कीमतों में दबाव और दक्षिण भारत की दाल मिलों से उम्मीद की जाने वाली स्थिर मांग के कारण। साथ ही, तमिलनाडु में बारिश से फसल प्रभावित होने की वजह से उड़द की कीमतों में गिरावट की रफ्तार धीमी हो सकती है, लेकिन व्यापारी मुनाफा निकालने का सुझाव दे रहे हैं।
अरहर के बाजार में भी लगातार चौथे दिन गिरावट दर्ज की गई है। आयातित अरहर की कीमतों में कमी के कारण घरेलू बाजार पर दबाव है। कर्नाटका और महाराष्ट्र में नई देसी अरहर की आवक बढ़ी है, जबकि दाल मिलें आवश्यकता के अनुसार ही खरीद कर रही हैं। केंद्र सरकार अरहर की कीमतों पर नजर रखे हुए है, जिससे फिलहाल इसमें तेजी की संभावना कम है।
आस्ट्रेलिया से चने का आयात बढ़ने से मिलें केवल आवश्यकता के हिसाब से ही खरीदारी कर रही हैं। चना की घरेलू नई फसल के आने में अभी कुछ महीने बचे हैं, और खपत का सीजन होने के कारण चने की दाल और बेसन की मांग बनी रहने की उम्मीद है।
व्यापारी इन दालों के सीमित दायरे में व्यापार करने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि मौजूदा समय में कीमतों में बड़ी गिरावट या तेजी की संभावना कम दिखाई दे रही है।