दालों के बाजार में उतार-चढ़ाव: उड़द, मूंग और मसूर की कीमतों पर विशेषज्ञों की नजर

दालों के बाजार में उड़द, मूंग और मसूर की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। उड़द की कीमतों में मामूली नरमी है, लेकिन खपत के सीजन के चलते बड़ी गिरावट की संभावना नहीं। मूंग की बुआई और उत्पादन ज्यादा हुआ है, लेकिन एमएसपी पर सीमित खरीद से कीमतों में तेजी की उम्मीद कम है। मसूर की मांग बनी हुई है, जबकि केंद्रीय पूल में अच्छा स्टॉक होने से नई आवक तक मामूली तेजी आ सकती है। कुल मिलाकर, बाजार सीमित दायरे में रह सकता है।

Opinion 18 Dec  
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दालों के बाजार में इन दिनों उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। उड़द की कीमतों में कमजोर मांग के चलते हल्की नरमी आई है, हालांकि चेन्नई में उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव स्थिर बने हुए हैं। दक्षिण भारत की दाल मिलें मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से आने वाली उड़द की फसल पर निर्भर हैं। उधर, म्यांमार में प्रतिकूल मौसम से उड़द की फसल और गुणवत्ता पर असर पड़ा है। वहीं ब्राजील से उड़द की आपूर्ति दिसंबर के अंत तक लगभग बंद होने की संभावना है। चेन्नई और तमिलनाडु में भी बारिश के कारण उड़द की आवक कम रही है। हालांकि खपत के सीजन के चलते कीमतों में बड़ी गिरावट की उम्मीद कम है और बाजार सीमित दायरे में बना रह सकता है।

मूंग के मामले में कीमतें अधिकांश मंडियों में स्थिर बनी हुई हैं, हालांकि जयपुर में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। इस साल खरीफ सीजन में मूंग की बुआई पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रही, जिससे उत्पादन भी ज्यादा रहने का अनुमान है। दिल्ली में राजस्थान से मूंग की आवक बढ़ने से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के माल की मांग में कमी आई है। मूंग की एमएसपी पर खरीद तो हो रही है, लेकिन कुल आवक के मुकाबले यह खरीद सीमित है। जानकारों का मानना है कि समर्थन मूल्य पर खरीद में तेजी आने से ही मूंग के दामों में सुधार हो सकता है। नेफेड द्वारा सीमित मात्रा में खरीद और रबी सीजन में धीमी बुआई के कारण मूंग की कीमतों में फिलहाल बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।

मसूर की कीमतों में हल्की नरमी देखने को मिली है, लेकिन व्यापारी इसे बड़ी गिरावट के पक्ष में नहीं मान रहे। खपत का सीजन होने के कारण बिहार, बंगाल और असम जैसे प्रमुख राज्यों में मसूर की मांग बनी हुई है, जिससे मिलर्स की खरीद जारी रहेगी। हालांकि, उत्पादक राज्यों में स्टॉक अच्छा बचा हुआ है और आयात में भी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 45% की कमी आई है। केंद्रीय पूल में करीब 8 लाख टन मसूर का स्टॉक होने की खबरें हैं, जिससे नई आवक से पहले मामूली तेजी देखने को मिल सकती है।

कुल मिलाकर, दालों के बाजार में कीमतें स्थिर या सीमित दायरे में रह सकती हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि दालों में बन रही मौजूदा तेजी में माल निकालने में समझदारी है, जबकि नई आवक और सरकारी खरीद पर नजर बनाए रखना जरूरी होगा।