देशी चने के बाजार में उतार-चढ़ाव: आयात सौदों और बिजाई के आंकड़ों के बीच बाजार पर असर
देशी चने की बिजाई में 13% की कमी आई है, जिससे बाजार में तेजी का रुख फिर से बन सकता है। हालांकि, आयात सौदों और स्टॉकिस्टों की घबराहट के चलते पिछले सप्ताह 300 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। आगामी माह में ऑस्ट्रेलिया से माल आने की संभावना है, लेकिन उसका प्रभाव अभी सीमित रहेगा। वर्तमान में चने के भाव में और गिरावट की संभावना कम है, हालांकि बाजार छोटे उतार-चढ़ाव के साथ सीमित दायरे में रह सकता है।
देशी चने की बिजाई में इस साल लगभग 13 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि गुजरात में केवल एक चौथाई बिजाई हुई है। इस कारण से, बाजार में एक बार फिर तेजी का यू-टर्न लेने की संभावना जताई जा रही है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में लगातार आयात सौदों की वजह से घबराहट के चलते, देशी चने के बाजार में पिछले एक सप्ताह के दौरान 300 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई है। फिलहाल, ऑस्ट्रेलिया से आने वाले सौदों की कीमतें पिछले सौदों से कम हैं, जिससे वर्तमान भाव में थोड़ी मंदी होने की संभावना है।
देशभर में मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में चने की बिजाई लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन कुल रकबा 5.25 लाख हेक्टेयर तक सीमित रह गया है, जो पिछले साल के 6.1 लाख हेक्टेयर से कम है। हालांकि, नवंबर के अंत तक बिजाई का रकबा बढ़ने की उम्मीद बनी हुई है।
इस बीच, स्टॉकिस्टों के बीच घबराहटपूर्ण बिकवाली का दौर जारी है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया से आए सौदे मुंबई में 6100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर हुए हैं। इस वजह से पिछले सप्ताह चने के भाव में 300 रुपए की गिरावट आई है। बाजार में दहशत के कारण कई स्टॉकिस्ट अपना माल बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया से नवंबर शिपमेंट के सौदों के समाचार भी मुंबई और मुंदड़ा में मिल रहे हैं, लेकिन ये माल दिसंबर और जनवरी में आएंगे, इसलिए उनका तत्काल प्रभाव बाजार पर नहीं दिखाई देगा। वर्तमान में बाजार सीमित दायरे में बना रह सकता है।