चना खरीद को लेकर सरकार का बड़ा फैसला: 10 लाख टन स्टॉक बनाने की तैयारी

सरकार अप्रैल 2024 से किसानों से सीधे लगभग 10 लाख टन चना खरीदने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य स्टॉक को बढ़ाना और बाजार की कीमतों को स्थिर करना है। फिलहाल सरकार के पास चने का पर्याप्त बफर स्टॉक नहीं है, जिससे बाजार हस्तक्षेप में मुश्किलें आ रही हैं।

Opinion 20 Nov 2024
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सरकार अप्रैल 2024 से किसानों से सीधे लगभग 10 लाख टन चना खरीदने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य स्टॉक को बढ़ाना और बाजार की कीमतों को स्थिर करना है। फिलहाल सरकार के पास चने का पर्याप्त बफर स्टॉक नहीं है, जिससे बाजार हस्तक्षेप में मुश्किलें आ रही हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी की तैयारी
यदि बाजार कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे रहती हैं, तो सरकार मूल्य स्थिरीकरण कोष के तहत मौजूदा बाजार कीमतों पर चने की खरीद करेगी।
"नियमों के अनुसार, बफर स्टॉक में कम से कम 10 लाख टन चना होना चाहिए। पिछले साल कीमतों में तेजी के कारण पर्याप्त खरीद नहीं हो पाई थी, लेकिन इस बार हम स्टॉक बढ़ाने की कोशिश करेंगे," एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया।

कृषि विपणन संघों के माध्यम से खरीदी
यह खरीदी भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (NCCF) के जरिए की जाएगी। इस चने को उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की निगरानी में बाजार में जारी किया जाएगा।

चना उत्पादन और खपत का परिदृश्य
फसल वर्ष 2023-24 में चना उत्पादन 10% घटकर 11.04 मिलियन टन रहा। हालांकि व्यापारियों और सरकार को रबी फसलों में बुवाई क्षेत्र में 5-10% की वृद्धि की उम्मीद है। भारत में सालाना चने की खपत 10-11 मिलियन टन है।

चना बाजार का हाल
पिछले दो महीनों में चने की कीमतें 11% गिरी हैं। थोक बाजारों में सस्ते चने और पीले मटर के आयात ने दबाव बढ़ाया है। अब तक 2024-25 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान 2.5 मिलियन टन पीले मटर का आयात हुआ है, जो दिसंबर के अंत तक 3 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है। पीले मटर, जो बेसन का सस्ता विकल्प है, चने की कीमतों को और नीचे ला सकता है।

क्या रहेगा आयात शुल्क?
31 मार्च, 2025 तक चने के आयात पर कोई शुल्क नहीं है। यदि घरेलू बुवाई में सुधार नहीं होता, तो आयात शुल्क अगले वित्तीय वर्ष में भी शून्य रखा जा सकता है।

यह कदम किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए राहतभरा हो सकता है, क्योंकि यह बाजार स्थिरता और आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करेगा

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