गुजरात में दलहन निर्यात दोगुना, अप्रैल से जनवरी के बीच 2,47,789 टन तक पहुँचा

गुजरात में अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच दलहन निर्यात दोगुना होकर 2,47,789 टन तक पहुंच गया, जिसमें अनुकूल डॉलर मूल्य का योगदान रहा। आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत दलहन उत्पादन तेजी से बढ़ा है, जिसमें चने की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ाने, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और आधुनिक कृषि तकनीकों को प्रोत्साहित करने से किसानों की आय में वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और मूल्य समर्थन योजना के तहत किसानों को आर्थिक सुरक्षा दी जा रही है। दलहन न केवल पोषण से भरपूर हैं बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाते हैं, जिससे सतत कृषि को बढ़ावा मिलता है।

Business 10 Feb  Business Standard
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गुजरात में अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच दलहन, ग्वारगम और डेयरी उत्पादों के निर्यात में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई। एपीडा की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में दलहन निर्यात दोगुना होकर 2,47,789 टन तक पहुंच गया, जिसमें अनुकूल डॉलर मूल्य का भी योगदान रहा।

गुजरात, जो तुअर और चने की उत्पादकता में देश में अग्रणी है, आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत दलहन उत्पादन में तेजी से वृद्धि कर रहा है। राज्य में दलहन की खेती का क्षेत्र 2018-19 में 6.62 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2022-23 में 13.10 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि उत्पादन 6.79 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 18.11 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया। चने की खेती में सबसे अधिक वृद्धि हुई, जहां उत्पादन 2.35 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 12.98 लाख मीट्रिक टन हो गया।

सरकार द्वारा दलहन की एमएसपी में लगातार वृद्धि (तुअर 26%, मूंग 21%, उड़द 23%, चना 11%, मसूर 31%) ने किसानों की आय बढ़ाने में मदद की है। साथ ही, दलहन की नाइट्रोजन-फिक्सिंग क्षमता से मिट्टी की उर्वरता में सुधार हुआ और उर्वरकों पर निर्भरता घटी।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के तहत किसानों को प्रमाणित बीज, सब्सिडी, प्रदर्शन कार्यक्रम और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। राज्य सरकार ने बीज प्रतिस्थापन दर (SRR) योजना लागू की है, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिल रहे हैं। साथ ही, मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत सरकार एमएसपी से नीचे बिकने वाली दलहन की खरीद कर किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर रही है।

गुजरात में सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों (ड्रिप व स्प्रिंकलर) के माध्यम से 2005-06 से 2024-25 तक 24 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई के दायरे में लाया गया है, जिससे उत्पादन और स्थिरता में वृद्धि हुई है। आधुनिक कृषि पद्धतियों, जैसे मशीनरी, उन्नत बीज, मिश्रित फसल प्रणाली, और जैविक खेती को अपनाकर किसान अपनी उपज और आय दोनों बढ़ा रहे हैं।

पोषण से भरपूर दलहन न केवल मानव व पशु आहार के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाते हैं। इससे कृषि उत्पादन में सुधार होता है और सतत खेती को बढ़ावा मिलता है।

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