देशभर के चना बाजारों में इन दिनों मांग की कमी के चलते एक स्पष्ट दबाव देखने को मिल रहा है। प्रमुख व्यापारी अशोक कुमार वासवानी (मोहित उद्योग, बीकानेर) का कहना है कि बाजार में घबराहट भरी बिकवाली देखने को मिल रही है, लेकिन यदि सप्लाई टाइट बनी रही तो अगस्त के अंत तक चने के दाम ₹6,700 प्रति क्विंटल तक पहुंच सकते हैं।
दिल्ली की मंडी में आज चने के भाव ₹6,250 से ₹6,275 प्रति क्विंटल के बीच दर्ज किए गए। मांग में गिरावट की वजह से मंडियों में उठाव बेहद सीमित रहा — मात्र 11 प्रतिशत के आसपास। इस कारण व्यापारी और स्टॉकिस्ट अपनी पोजिशन हल्की करने में लगे हैं, जबकि खरीदार साइडलाइन पर नजर आ रहे हैं।
बाजार में इस समय नाफेड की बिक्री को लेकर भी संशय बना हुआ है। यदि निकट भविष्य में नाफेड द्वारा कोई बड़ी बिक्री नहीं की जाती, तो बाजार में उपलब्ध स्टॉक कम हो सकता है, जिससे कीमतों में तेजी की गुंजाइश बनती है। हालांकि, कुछ हिस्सों में यह भी आशंका है कि अगर सरकारी हस्तक्षेप बढ़ा तो कीमतों पर दबाव बन सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑस्ट्रेलिया में इस वर्ष चने की फसल बेहतर रहने की संभावना जताई गई है। अनुमान है कि नए सीजन में ऑस्ट्रेलिया से भारत में लगभग 7 से 8 लाख टन चने का आयात हो सकता है। इस संभावित आयात के कारण दीर्घकालिक दृष्टिकोण में कीमतों पर संतुलन बना रह सकता है, लेकिन फिलहाल घरेलू स्तर पर मांग कमजोर बनी हुई है।
पिछले कुछ समय से बाजार में दाल उद्योग और मिलर्स केवल आवश्यकता के अनुसार ही खरीदारी कर रहे हैं। इसके साथ ही कई कारोबारी पुराने स्टॉक को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इस कारण बाजार में उठाव कमजोर है, और सौदों में सतर्कता दिखाई दे रही है।
यदि मांग में थोड़ा भी सुधार आया और सरकारी बिक्री स्थगित रही, तो सप्लाई टाइट होने के कारण बाजार में तेजी की स्थिति बन सकती है। ऐसे में अगस्त के आखिरी दो हफ्तों में भाव ₹6,700 प्रति क्विंटल तक पहुंचने की पूरी संभावना है। हालांकि, यह सब कुछ अंतरराष्ट्रीय आयात, नाफेड नीति और घरेलू उठाव पर निर्भर करेगा।