भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास गेहूं का भंडार बफर स्टॉक से अधिक है, लेकिन घरेलू बाजार में कमजोर आपूर्ति और बढ़ती मांग के कारण गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। मिलर्स की भारी खरीदारी और सरकार के गेहूं आयात न करने के फैसले ने इस वृद्धि को तेज कर दिया है। अनुमान है कि कीमतें 25-50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ सकती हैं और 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच सकती हैं।
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास गेहूं का भंडार पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है, लेकिन यह बफर स्टॉक की आवश्यकता से अधिक है। हालांकि, घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी देखी जा रही है, जो कमजोर आपूर्ति और बढ़ती मांग के कारण बढ़ सकती हैं।
सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत 2.5 मिलियन टन गेहूं आवंटित किया है, और वैश्विक स्तर पर यूक्रेन से गेहूं की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है। बावजूद इसके, मिलर्स की भारी मांग और विक्रेताओं की निष्क्रियता के कारण गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, घरेलू बाजार में गेहूं की कीमत 10-20 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ सकती है, और अगर यही रुझान जारी रहता है, तो गेहूं की कीमत 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच सकती है।
इसके अलावा, सरकार के गेहूं आयात न करने के फैसले ने इस बढ़ोतरी को और तेज कर दिया है। मिलर्स, जो अल्पावधि में आपूर्ति की चिंता से प्रभावित हैं, अब बड़े पैमाने पर गेहूं खरीद रहे हैं, जिससे कीमतों में और उछाल देखा जा रहा है।
यह स्थिति मुनाफा कमाने के अवसर भी उत्पन्न कर सकती है, लेकिन किसानों और व्यापारियों को बाजार की अस्थिरता से सतर्क रहने की आवश्यकता है।