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भारत में खाद्य तेलों का आयात घटा: कीमतों में उतार-चढ़ाव से असर, क्या होगी अगली चाल?
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि के कारण आयात में कमी आई है। विशेष रूप से, कच्चे पाम तेल और आरबीडी पामोलिन का आयात पिछले वर्ष की तुलना में घटा है। कच्चे पाम तेल का आयात 75.88 लाख टन से घटकर 69.70 लाख टन और आरबीडी पामोलिन का आयात 21.07 लाख टन से घटकर 19.31 लाख टन हो गया है।
भारत में खाद्य तेलों का आयात पिछले वर्ष की तुलना में 3.09% घटकर 159.6 लाख टन रह गया है। यह गिरावट घरेलू तिलहन उत्पादन में बढ़ोतरी और बढ़ती कीमतों के कारण मांग में कमी आने के चलते हुई है।
एसईए (Solvent Extractors Association of India) के अनुसार, पिछले वर्ष भारत ने 164.7 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया था। इसके अलावा, मूल्य के लिहाज से भी खाद्य तेलों के आयात में मामूली गिरावट देखी गई है।
आयात मूल्य में गिरावट: पिछले साल जहां खाद्य तेलों का आयात ₹1,38,424 करोड़ था, वहीं इस साल यह घटकर ₹1,31,967 करोड़ रह गया है। भारत खाद्य तेलों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है, और इस गिरावट का सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ा है।
मूल्य वृद्धि और घरेलू असर: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि के कारण आयात में कमी आई है। विशेष रूप से, कच्चे पाम तेल और आरबीडी पामोलिन का आयात पिछले वर्ष की तुलना में घटा है। कच्चे पाम तेल का आयात 75.88 लाख टन से घटकर 69.70 लाख टन और आरबीडी पामोलिन का आयात 21.07 लाख टन से घटकर 19.31 लाख टन हो गया है।
नरम तेलों का आयात: हालांकि, नरम तेलों में सोयाबीन तेल का आयात थोड़ा कम हुआ है, लेकिन सूरजमुखी तेल का आयात बढ़कर 35.06 लाख टन हो गया है। यह दर्शाता है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारत में खाद्य तेलों के आयात पर पड़ रहा है।
क्या असर पड़ेगा कीमतों पर? किसानों और उपभोक्ताओं के लिए यह जरूरी है कि वे खाद्य तेलों के आयात में हो रहे बदलावों पर नजर रखें, क्योंकि इनसे खाद्य तेलों की कीमतों पर बड़ा असर पड़ सकता है। इन बदलती परिस्थितियों को समझकर तेजी-मंदी का अनुमान लगाना ज्यादा आसान हो सकता है।