बीते सप्ताह खाद्य तेल-तिलहन बाजार में अधिकांश तेलों और तिलहनों की कीमतों में सुधार देखा गया, जिसका कारण वैश्विक बाजारों में तेजी और देश में तिलहनों की आवक में कमी था। सोयाबीन, सूरजमुखी, और कपास के हाजिर दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10-15 प्रतिशत कमजोर रहे।
सरसों और सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल, पामोलीन और बिनौला तेल के दाम में वृद्धि हुई, जबकि मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई। मूंगफली की आवक बढ़ने के बावजूद मांग कमजोर रहने के कारण मूंगफली तेल के दाम में कमी आई।
सरसों की आवक में कमी आई और यह अब प्रतिदिन करीब 1.5 लाख बोरी रह गई, जबकि इसकी खपत 3.5-4 लाख बोरी है, जिससे सरसों तेल की कीमतों में सुधार हुआ। सोयाबीन की आवक भी घटकर 3.5 लाख बोरी रह गई, जिससे सोयाबीन तेल में भी तेजी देखी गई।
पामतेल के दाम मलेशिया में मजबूत होते हुए 600 रुपये प्रति क्विंटल बढ़े, जिससे देश में भी पामोलीन के दाम में वृद्धि हुई। वहीं, बिनौला तेल का भाव भी 100 रुपये के सुधार के साथ 12,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
यह बाजार की स्थिति व्यापारियों और निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बदलाव हो रहा है और इनका प्रभाव व्यापार और व्यापारिक निर्णयों पर पड़ सकता है।