सरकार पीली मटर और अन्य दालों पर आयात शुल्क लगाने पर गंभीरता से विचार कर रही है क्योंकि सस्ते विदेशी माल और मजबूत घरेलू फसल अनुमान ने मंडी दामों को MSP से नीचे धकेल दिया है। तूर 38%, चना 25%, मूंग 18% और उड़द 15% सस्ती हो चुकी है, जिससे किसानों में रबी सीजन की बुवाई को लेकर संकोच है।
फिलहाल पीली मटर, तूर और उड़द का आयात मार्च 2026 तक ड्यूटी-फ्री है, जबकि चना और मसूर पर 10% शुल्क लागू है। व्यापार जगत में यह चर्चा तेज है कि सरकार जल्द ही पीली मटर पर 50% शुल्क बहाल कर सकती है और अन्य दालों पर भी शुल्क बढ़ा सकती है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही इसके लिए सिफारिश कर चुके हैं।
भारत ने 2024-25 में रिकॉर्ड 73.4 लाख टन दालों का आयात किया है, जो कुल खपत का लगभग 15-18% है। यह आवक मुख्यतः अफ्रीका, म्यांमार, तंजानिया, मलावी, मोज़ाम्बिक, कनाडा, रूस और ऑस्ट्रेलिया से होती है। ऐसे में व्यापारियों के लिए यह निर्णय बेहद अहम होगा क्योंकि यदि शुल्क लगता है तो आयातित दालों की लागत बढ़ेगी और घरेलू बाजार में कीमतें संतुलन की ओर लौट सकती हैं।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आयात नीति को MSP से जोड़कर चलाना जरूरी है ताकि किसानों को लाभकारी दाम मिलें और उत्पादन प्रभावित न हो। विशेषज्ञों का मानना है कि आयात का स्तर ऐसा होना चाहिए जो बाजार को स्थिर रखे, लेकिन घरेलू कीमतों को नुकसान न पहुंचाए।