सरकार इस सप्ताह से ही पीली मटर पर आयात शुल्क लगाने का फैसला कर सकती है। इंडियन पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) के सचिव सतीश उपाध्याय ने कहा कि पीली मटर पर 30-50% आयात शुल्क लगाया जाना चाहिए ताकि घरेलू किसानों को समर्थन मिल सके।
उन्होंने बताया कि उद्योग जगत ने सरकार से 50% तक शुल्क लगाने की मांग की है। रूस और कनाडा में इस साल पीली मटर का अधिक उत्पादन हुआ है, जिससे भारत में आयात बढ़ने की संभावना है।
हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पीली मटर के निरंतर ड्यूटी-फ्री आयात पर चिंता जताई थी। उन्होंने खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को लिखे पत्र में कहा था कि इससे दालों के दाम गिर रहे हैं और किसानों को नुकसान हो रहा है। फिलहाल पीली मटर का लैंडेड कॉस्ट लगभग ₹3,351 प्रति क्विंटल है, जो तूर, मूंग और उड़द जैसी प्रमुख दालों के एमएसपी और मंडी भाव से काफी कम है।
कनाडा का उत्पादन इस साल लगभग 35 लाख टन है, जो पिछले साल से 10-15% अधिक है। रूस का उत्पादन भी करीब 50-55 लाख टन अनुमानित है। अमेरिका और चीन द्वारा कनाडा से आयात पर ड्यूटी लगाने के बाद वहां की सप्लाई भारत की ओर रुख कर रही है।
घरेलू बाजार में पीली मटर की कीमत वर्तमान में ₹30 प्रति किलो के आसपास है, जबकि किसानों को राहत देने और कीमतों को ₹40-45 प्रति किलो तक पहुंचाने के लिए 30-40% आयात शुल्क लगाने की जरूरत है।
दिसंबर 2023 में सरकार ने पीली मटर पर ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति दी थी ताकि महंगाई को काबू में रखा जा सके। यह नीति कई बार बढ़ाई जा चुकी है और अब 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी। दिसंबर 2023 से जून तक पीली मटर का आयात लगभग 35 लाख टन पहुंच गया है, जबकि पहले यह नगण्य था।
पीली मटर के अलावा एसोसिएशन ने चना और मसूर पर भी आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की है। मार्च 2025 में सरकार ने चना पर 10% और मसूर पर 11% आयात शुल्क लगाया था, लेकिन इसके बावजूद दोनों दालों के दाम दबाव में हैं।
अकोला (महाराष्ट्र) में मंगलवार को चना का भाव ₹6,100-6,125 प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले दिन से ₹75 कम है। वहीं, मध्य प्रदेश के विदिशा में मसूर की कीमतें ₹6,000-6,700 प्रति क्विंटल पर स्थिर रहीं।