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लुई ड्रीफस कंपनी (LDC) भारत में दालों की दूसरी सबसे बड़ी निर्यातक बनी

फ्रांसीसी वैश्विक एग्री-ट्रेडिंग कंपनी Louis Dreyfus Company (LDC) अब भारत की दूसरी सबसे बड़ी दाल निर्यातक कंपनी बन गई है। एक साल पहले दाल व्यापार के लिए एक अलग वैश्विक यूनिट शुरू करने के बाद कंपनी ने विभिन्न देशों से भारत में बड़े पैमाने पर दालों का निर्यात किया है। यह जानकारी एलडीसी इंडिया के सीईओ.....

Business 2:17 PM  The Hindu Business Line
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प्रसंस्करण मिल लगाने की संभावना पर भी विचार
फ्रांसीसी वैश्विक एग्री-ट्रेडिंग कंपनी Louis Dreyfus Company (LDC) अब भारत की दूसरी सबसे बड़ी दाल निर्यातक कंपनी बन गई है। एक साल पहले दाल व्यापार के लिए एक अलग वैश्विक यूनिट शुरू करने के बाद कंपनी ने विभिन्न देशों से भारत में बड़े पैमाने पर दालों का निर्यात किया है। यह जानकारी एलडीसी इंडिया के सीईओ सुमीत मित्तल ने दी।
करीब 170 साल पुरानी और 100 से अधिक देशों में सक्रिय यह कंपनी अब भारत में दालों के प्रोसेसिंग प्लांट (प्रसंस्करण मिल) लगाने की संभावनाओं की भी तलाश कर रही है, ताकि दालों की वैल्यू चेन में गहराई से हिस्सा लिया जा सके।

भारत केंद्रित दाल व्यवसाय
मित्तल के अनुसार सितंबर 2024 में कंपनी ने दालों के लिए वैश्विक बिजनेस यूनिट स्थापित की थी। पहले कंपनी दालों का व्यापार करती थी, लेकिन इसे एक औपचारिक स्वतंत्र व्यवसाय के रूप में कभी विकसित नहीं किया गया था। भारत इस यूनिट का केंद्र इसलिए बना क्योंकि भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक है।
कंपनी अब चने, मटर और मसूर जैसी दालों का वैश्विक व्यापार कर रही है, साथ ही घरेलू स्तर पर भी दालों की सोर्सिंग और ट्रेडिंग शुरू कर चुकी है। आज LDC दुनिया की शीर्ष तीन दाल व्यापारी कंपनियों में से एक है।

दाल आयात के प्रमुख स्रोत
कनाडा – येलो पीज और मसूर
ऑस्ट्रेलिया – चना और मसूर
अर्जेंटीना – कुछ मात्रा में येलो पीज (ट्रायल चरण में)
अफ्रीका – सीमित आयात
भारत सरकार द्वारा येलो पीज पर 30% आयात शुल्क लगाने के फैसले पर मित्तल का कहना है कि इससे बाजार को स्पष्टता मिली है। निर्णय के बाद व्यापार में गतिविधि बढ़ी है और घरेलू कीमतों में हल्की मजबूती दिखी है।

पौध-आधारित प्रोटीन की बढ़ती मांग

मित्तल ने बताया कि दुनिया भर में लोग शाकाहारी प्रोटीन स्रोतों की ओर तेजी से झुक रहे हैं। भारत सरकार भी भारत दाल और भारत आटा जैसे प्रयासों के जरिए दालों को रोजमर्रा के भोजन का हिस्सा बनाने पर जोर दे रही है। यही कारण है कि LDC भारत में दाल प्रसंस्करण मिल लगाने पर गंभीरता से विचार कर रही है ताकि उपभोक्ता तक वैल्यू-एडेड उत्पाद पहुंचाए जा सकें।
कंपनी पहले से ही कांडला में खाद्य तेल रिफाइनरी और कर्नाटक के कुशालनगर में कॉफी प्रोसेसिंग मिल संचालित करती है। दाल प्रोसेसिंग यूनिट इसी विस्तार का अगला चरण होगी।

कॉटन कारोबार और सरकारी नीति
LDC हर साल वैश्विक स्तर पर 9.5 करोड़ टन कृषि उत्पादों का व्यापार करती है। मित्तल ने कहा कि भारत सरकार द्वारा कपास आयात पर 11% शुल्क हटाने का निर्णय सही दिशा में है, क्योंकि भारतीय वस्त्र उद्योग वैश्विक कीमतों और अमेरिकी शुल्कों के दोहरे दबाव का सामना कर रहा था। वर्ष 2025-26 के मार्केटिंग वर्ष में भारत को आयात की आवश्यकता बनी रहेगी, क्योंकि बारिश से फसल प्रभावित हुई है।

‘जागृति’ और अन्य किसान परियोजनाएँ

LDC ने अपनी सामाजिक पहल ‘जागृति कॉटन प्रोजेक्ट’ के तहत:

  • 2022 में शुरुआत

  • 7,500 किसानों से बढ़कर अब 26,000 किसान जुड़े

  • 85+ स्थानों पर 2024 में 1.30 लाख फेरोमोन ट्रैप वितरित

  • लागत कम करने और उत्पादन बढ़ाने में सफलता

इसके अलावा कंपनी महाराष्ट्र में रीजनरेटिव एग्रीकल्चर, कॉफी में सस्टेनेबल प्रोडक्शन और गुजरात के कच्छ क्षेत्र में जल लवणता प्रबंधन प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है।

LDC अब भारत के दाल कारोबार में गहराई से प्रवेश करने की तैयारी में है। यदि प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित होती हैं, तो यह भारत के दाल क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है, जिसमें उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक पूरी वैल्यू चेन में LDC की मौजूदगी होगी।

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