सोयाबीन खरीद में प्रगति: MSP के तहत राज्यों की प्रदर्शन रिपोर्ट

₹4,892 प्रति क्विंटल के MSP पर सोयाबीन की खरीद जारी है, जिसमें 33.60 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले अब तक 5.05 लाख मीट्रिक टन खरीदी गई है। तेलंगाना ने 99.9% लक्ष्य हासिल कर सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को अपनी प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है। किसानों को समय पर उचित मूल्य प्रदान करने के लिए खरीद अभियान को मजबूत किया जा रहा है।

Opinion 19 Dec 2024
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सोयाबीन उत्पादक राज्यों में ₹4,892 प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत सोयाबीन की खरीद जोरों पर है। इस अभियान का उद्देश्य किसानों को समर्थन प्रदान करना और बाजार की अनिश्चितताओं के बीच कीमतों को स्थिर बनाए रखना है। हालांकि खरीद में निरंतर वृद्धि हो रही है, कुछ राज्यों को अभी भी अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में प्रयास तेज करने की जरूरत है।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कुल 33.60 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले अभी तक केवल 5.05 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदी जा चुकी है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, और तेलंगाना जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों में खरीद अभियान चल रहा है।

मध्य प्रदेश ने 13.68 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 2.58 लाख मीट्रिक टन की खरीद की है, जबकि महाराष्ट्र ने अपने 14.13 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के मुकाबले अब तक 1.45 लाख मीट्रिक टन की खरीद पूरी की है। राजस्थान और गुजरात ने क्रमशः 15,490 और 17,316 मीट्रिक टन की खरीद की है, जो उनके तय लक्ष्यों से काफी कम है। वहीं, कर्नाटक ने 9,110 मीट्रिक टन खरीद पूरी की है।

तेलंगाना ने इस अभियान में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है, जहाँ 59,508 मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 99.9% खरीद पूरी हो चुकी है। राज्य ने समय-सीमा से पहले ही अपने लक्ष्य को लगभग प्राप्त कर लिया है।

हालांकि तेलंगाना जैसे राज्यों ने सराहनीय प्रगति दिखाई है, लेकिन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े लक्ष्य वाले राज्यों को अभी भी अपनी खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है। कुल 33.60 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य सरकारें समयबद्ध खरीद सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

अब तक की कुल खरीद 5.05 लाख मीट्रिक टन है, और आने वाले हफ्तों में प्रमुख राज्यों से इस अंतर को पाटने और किसानों को समय पर उचित मूल्य प्रदान करने की उम्मीद है।

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