गेहूं की कीमतों में उछाल: मांग-आपूर्ति असंतुलन और रिकॉर्ड बुवाई के बीच बाजार पर असर
देश में गेहूं की कीमतें ₹2909.96 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, जो एमएसपी से 21% अधिक है। कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण ऑफ सीजन में आपूर्ति की कमी, किसानों द्वारा स्टॉक रोकना, और बिस्किट-ब्रेड कंपनियों की भारी खरीदारी है। नवंबर 2024 में एमएसपी में ₹150 की बढ़ोतरी के कारण रबी सीजन 2024-25 में गेहूं की रिकॉर्ड बुवाई हुई, जिससे आने वाले महीनों में आपूर्ति में सुधार की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतों में यह तेजी कुछ हफ्तों तक जारी रह सकती है, लेकिन नई फसल आने पर स्थिरता आ सकती है।
देश में गेहूं की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण बाजार में मौजूदा गेहूं की कमी और ऑफ सीजन का प्रभाव है। किसान अपनी अगली फसल की बुवाई से पहले स्टॉक बेचने से हिचकिचा रहे हैं, जिससे बाजार में आपूर्ति सीमित हो गई है।
दूसरी ओर, बिस्किट और ब्रेड जैसी खाद्य वस्तुएं बनाने वाली कंपनियों की भारी खरीदारी और सरकारी आपूर्ति में देरी से मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की कीमतें आने वाले हफ्तों में और बढ़ सकती हैं। साथ ही, मौजूदा तेजी के बीच किसानों और व्यापारियों को अपने स्टॉक का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा बेचकर मुनाफा कमाने की सलाह दी गई है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 11 जनवरी 2025 को देश में गेहूं का औसत मंडी भाव ₹2909.96 प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जो एमएसपी से 21% अधिक है। पिछले सप्ताह की तुलना में यह ₹100 प्रति क्विंटल की वृद्धि दर्शाता है। वहीं, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में यह 15% की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
इस बीच, रबी सीजन 2024-25 में किसानों ने गेहूं की रिकॉर्ड बुवाई की है। इसका मुख्य कारण नवंबर 2024 में गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में ₹150 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी है। इस बढ़ोतरी ने किसानों को बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद दी, जिससे उन्होंने गेहूं की बुवाई के लिए अधिक क्षेत्र का उपयोग किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि रबी फसल के बाजार में आने के बाद गेहूं की आपूर्ति में सुधार हो सकता है, जिससे कीमतों में स्थिरता आ सकती है। फिलहाल, बाजार में मौजूदा हालात कीमतों को ऊंचाई पर बनाए हुए हैं।