देशभर में देसी चने के उत्पादन में गिरावट और छोटे दाने की फसल के कारण बाजार में स्थिरता बनी हुई है। ऑस्ट्रेलियाई चने में नुकसान के चलते आयात प्रभावित हुआ है, और नए सौदे नहीं हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में नई फसल की आवक जारी है, लेकिन उत्तर भारत में आपूर्ति सीमित है। लोकल दाल मिलों की मांग बनी हुई है, जबकि मध्य प्रदेश का चना दिल्ली कम आ रहा है। ऑस्ट्रेलियाई चने की बिकवाली से दबाव जरूर है, लेकिन मुंद्रा पोर्ट पर स्टॉक घटने के बाद बाजार में स्थिरता के संकेत हैं।
देशभर में देसी चने के उत्पादन और उत्पादकता में गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे बाजार में स्थिरता बनी हुई है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में गर्मी के असर से फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और सभी क्षेत्रों में छोटे दाने वाली फसल सामने आ रही है, जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादन में कमी की आशंका है।
आयात की स्थिति भी प्रभावित हो रही है—ऑस्ट्रेलियाई चने में भारी नुकसान के कारण नए सौदे लगभग ठप हो गए हैं। हालांकि, पहले से बुक किए गए कंटेनर भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुके हैं, जिससे बाजार में हल्की गिरावट आई थी, लेकिन मौजूदा भाव से ज्यादा गिरावट की संभावना अब कम है।
आवक की स्थिति देखें तो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में नई फसल की आवक शुरू हो गई है, लेकिन उत्तर भारत की मंडियों में इसकी आपूर्ति सीमित बनी हुई है। लोकल दाल मिलें इन राज्यों के माल की खपत कर रही हैं, जबकि मध्य प्रदेश से दिल्ली में देसी चने की सप्लाई बहुत कम आ रही है, क्योंकि ग्वालियर और इंदौर की दाल मिलें ही अधिकतर स्टॉक खरीद रही हैं।
इस बीच, ऑस्ट्रेलियाई चने की बिकवाली से राजस्थान के चने की बिक्री पर दबाव बना हुआ है, लेकिन मुंद्रा पोर्ट पर स्टॉक घटने के बाद घरेलू चने की मांग बढ़ सकती है। कुल मिलाकर, आने वाले दिनों में बाजार सीमित दायरे में बने रहने की संभावना है, और कीमतों में स्थिरता देखने को मिल सकती है।