रबी सीजन में बुआई तेज, उड़द बाजार पर दबाव: कारोबारी रणनीति के संकेत
उड़द बाजार की बात करें तो फिलहाल इसमें सुस्ती का माहौल है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और गंगोह क्षेत्र में नई उड़द की आवक शुरू हो चुकी है। बेहतर उत्पादकता और अधिक बुआई के चलते छोटे दानों की आपूर्ति बढ़ी है। हालांकि, एमपी और महाराष्ट्र के माल लगभग खत्म हो चुके हैं, और उत्तर भारत की मंडियों में नई आपूर्ति सीमित है। रंगून से आयातित माल के शिपमेंट भी नहीं हो रहे, जिससे घरेलू बाजार में उड़द का स्टॉक काफी कम है।
चालू रबी सीजन में राजस्थान में फसल बुआई ने तेजी पकड़ी है। 25 नवंबर तक राज्य में कुल 86.52 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों की बुआई पूरी हो चुकी है, जो पिछले साल के 79.72 लाख हेक्टेयर की तुलना में 8.52% अधिक है। गेहूं, चना और जौ की बुआई में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई , जबकि सरसों की बुआई पिछड़ रही है। चने की बुआई इस बार 18.53 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई , जो पिछले साल 16.42 लाख हेक्टेयर थी। वहीं, गेहूं की बुआई 18.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है। जौ की बुआई भी 2.89 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल यह 2.26 लाख हेक्टेयर थी।
उड़द बाजार की बात करें तो फिलहाल इसमें सुस्ती का माहौल है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और गंगोह क्षेत्र में नई उड़द की आवक शुरू हो चुकी है। बेहतर उत्पादकता और अधिक बुआई के चलते छोटे दानों की आपूर्ति बढ़ी है। हालांकि, एमपी और महाराष्ट्र के माल लगभग खत्म हो चुके हैं, और उत्तर भारत की मंडियों में नई आपूर्ति सीमित है। रंगून से आयातित माल के शिपमेंट भी नहीं हो रहे, जिससे घरेलू बाजार में उड़द का स्टॉक काफी कम है।
सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में उड़द की फसल को भारी नुकसान हुआ। राजस्थान के कोटा, जयपुर और टोंक जैसे इलाकों में फसल दागी हुई है। इसी तरह महाराष्ट्र के सोलापुर, लातूर और उदगीर क्षेत्रों में भी फसल प्रभावित हुई है। उत्पादन अनुमान में कटौती करते हुए इसे 44 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 42 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।
बाजार में खरीदारी फिलहाल धीमी है, क्योंकि दाल मिलें केवल बिक्री के हिसाब से माल खरीद रही हैं। हालांकि, बेहतर गुणवत्ता वाले माल की कमी के चलते भविष्य में उड़द के भाव में मजबूती की संभावना है। चना और गेहूं की बुआई में बढ़ोतरी से बाजार में स्थिरता की उम्मीद है, जबकि सरसों की सीमित बुआई इसे मजबूत बनाए रख सकती है।
व्यापारियों के लिए यह समय सावधानी से रणनीति बनाने का है। घरेलू उत्पादन, आयात सौदे और फसल की गुणवत्ता पर नजर रखते हुए निवेश के अवसर तलाशे जा सकते हैं।