भारतीय सोयाबीन बाजार में इन दिनों लगातार मजबूती का रुख बना हुआ है, खासकर महाराष्ट्र में कीर्ति सोयाबीन का रेट अब 4960 रुपये प्रति क्विंटल के अहम रेजिस्टेंस के करीब पहुंच चुका है। यह रेट मौजूदा सीजन का.........
नई दिल्ली — भारतीय सोयाबीन बाजार में इन दिनों लगातार मजबूती का रुख बना हुआ है, खासकर महाराष्ट्र में कीर्ति सोयाबीन का रेट अब 4960 रुपये प्रति क्विंटल के अहम रेजिस्टेंस के करीब पहुंच चुका है। यह रेट मौजूदा सीजन का उच्चतम स्तर है, जो सितंबर के अंत में बना था। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कीर्ति सोयाबीन 4960 के ऊपर टिकता है तो इसके बाद 5480 रुपये तक कोई बड़ा तकनीकी अवरोध नहीं दिख रहा है।
अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ वॉर ने भारतीय बाजार को अप्रत्याशित लाभ दिया है। अमेरिका द्वारा चीन पर 125% टैरिफ लगाने के बाद चीन ने अपनी खरीदारी भारत की ओर मोड़ दी है, जिससे भारतीय सोयामील के भावों में जोरदार उछाल आया है। बीते कुछ हफ्तों में सोयामील के दामों में 4000 रुपये प्रति टन की बढ़त दर्ज की गई है। निर्यात मांग में सुधार के चलते ही सोयाबीन की कीमतों में 200 रुपये से अधिक की तेजी देखी गई है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऊँचे स्तरों से अब सोयामील की मांग थोड़ी धीमी पड़ रही है। बावजूद इसके जब तक चीन और अमेरिका के बीच समझौता नहीं होता और नेफेड द्वारा सोयाबीन की बिकवाली पुनः शुरू नहीं की जाती, तब तक बाजार में मंदी की आशंका कम ही है।
वर्तमान में बड़े प्रोसेसिंग प्लांट्स की सक्रिय लेवाली भी बाजार को सहारा दे रही है। हालांकि, खल और तेल में मामूली बढ़त के चलते क्रशिंग में डिस्पैरिटी बढ़ रही है, जिससे व्यापारियों को सतर्क रहना होगा।
नाफेड की बिक्री रुकी हुई है और ऐतिहासिक रूप से मार्च-अप्रैल महीनों में सोयाबीन बाजार में तेजी देखी जाती है। लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि मई से जुलाई के अंत तक कीमतों में फिर नरमी देखी जा सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, कीर्ति प्लांट के रेट 4960 रुपये के रेजिस्टेंस तक पहुंच चुके हैं। यदि यह स्तर टूटता है तो आगे और तेजी का रास्ता साफ होगा, अन्यथा यहीं से बाजार में रुकावट देखने को मिल सकती है। व्यापारियों को सलाह दी जा रही है कि अप्रैल के अंत तक स्टॉक होल्ड करें और जो भी तेजी बने, उसमें मुनाफावसूली कर लें।
👉 कुल मिलाकर, इस समय सोयाबीन बाजार एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है — जहां अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, नाफेड की नीति, और घरेलू मांग सभी मिलकर भावों की दिशा तय करेंगे।