चना और मटर बाजार में मजबूती, सरकारी नीतियों पर टिकी व्यापारियों की नजर

पिछले सप्ताह चना और मटर बाजार में मजबूती देखी गई। चना 6,125-6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर खुलकर 6,200-6,250 रुपये तक पहुंचा, जबकि मटर 3,625 रुपये से बढ़कर 3,975 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सीमित स्टॉक, बेहतर मांग और मटर में तेजी से चने को समर्थन मिला, वहीं मटर में कमजोर बिकवाली और सुस्त आयात ने भाव बढ़ाए। कर्नाटक और महाराष्ट्र में चने की फसल कमजोर है, जबकि मटर का आयात महंगा पड़ रहा है। सरकार की आयात नीति पर बाजार की नजरें टिकी हैं, खासकर 28 फरवरी 2025 को समाप्त होने वाली मटर आयात समयसीमा को लेकर, जिससे आगे के दाम तय होंगे।

Opinion 10 Feb
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बीते सप्ताह चना और मटर बाजार में मजबूती दर्ज की गई। चने की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली, वहीं मटर में भी जबरदस्त तेजी रही। दोनों ही दालों की कीमतें सरकारी नीतियों और आयात से प्रभावित हो रही हैं, जिससे व्यापारियों की नजर सरकार के आगामी फैसलों पर टिकी हुई है।

चना बाजार में तेजी:

पिछले सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली, राजस्थान और जयपुर में चना 6,125-6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला और शनिवार तक यह 6,200-6,250 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। पूरे सप्ताह में चने की कीमतों में 75 रुपये की मजबूती देखी गई। दिल्ली में चना के दाम में कुल 150 रुपये की तेजी आई, जबकि मुंद्रा पोर्ट पर ऑस्ट्रेलिया चना 200 रुपये मजबूत हुआ।

चना बाजार को सीमित स्टॉक, ग्राहकी में सुधार और मटर में तेजी से सपोर्ट मिला। कर्नाटक और महाराष्ट्र में देशी चने की फसल कमजोर है, जबकि मध्य प्रदेश में कुछ जिलों में बोआई ठीक रही, लेकिन कई जिलों में यह कम हुई। गुजरात में बोआई बढ़ी है, और राजस्थान में यह पिछले साल के बराबर बनी हुई है। कर्नाटक में स्टॉकिस्ट सक्रिय हैं, जबकि किसान कम दाम पर चना बेचने को तैयार नहीं हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि चना की कीमतें 6,500 रुपये तक पहुंच सकती हैं। हालांकि, इसका भविष्य मटर की आयात नीतियों पर निर्भर करेगा। यदि सरकार मटर के आयात पर शुल्क लगाती है, तो चना में और मजबूती आ सकती है, लेकिन यदि आयात समयसीमा बढ़ा दी गई, तो इसमें कुछ कमजोरी संभव है।

मटर बाजार में उछाल:

मटर की कीमतों में भी बीते सप्ताह शानदार सुधार दर्ज किया गया। कानपुर में मटर सोमवार को 3,625 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला और शनिवार तक यह 3,975 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। पूरे सप्ताह में मटर की कीमतों में 350 रुपये की तेजी देखी गई। कानपुर में स्थानीय मटर 350 रुपये बढ़ा, जबकि इम्पोर्टेड मटर में 250-300 रुपये की मजबूती आई।

मटर बाजार में तेजी का कारण कमजोर बिकवाली और विदेशों से सुस्त आयात रहा। कनाडा और रूस से आयात महंगा हो गया है, जिससे घरेलू बाजार में भाव बढ़े हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी भी आयात महंगा होने का एक कारण है।

फिलहाल, मटर में तेजी जारी है, लेकिन आयात नीति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। मटर आयात की समयसीमा 28 फरवरी 2025 को समाप्त हो रही है, और यदि इसे बढ़ाया गया तो मटर में गिरावट संभव है। व्यापारियों को सलाह दी जा रही है कि जब तक नीति स्पष्ट न हो, तब तक सीमित कारोबार करें।

विशेषज्ञों के अनुसार, कानपुर मटर को 3,650 रुपये का मजबूत सपोर्ट मिला हुआ है। जब तक मटर इस स्तर से ऊपर बना रहेगा, तब तक इसमें मजबूती के आसार हैं। हालांकि, मौजूदा उच्च कीमतों और अनिश्चित आयात नीतियों के कारण सावधानी से कारोबार करने की सलाह दी जा रही है।

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