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कमोडिटी ट्रेडिंग निलंबन से मंडियों में मूल्य अस्थिरता, उपभोक्ताओं को चुकानी पड़ रही अधिक कीमत
भौतिक बाजार में एक भरोसेमंद संदर्भ मूल्य की अनुपस्थिति के कारण मंडियों में मूल्य में अधिक अस्थिरता देखी गई है।
2021 में SEBI ने सात प्रमुख कृषि जिंसों (गैर-बासमती धान, गेहूं, चना, सरसों, सोयाबीन, क्रूड पाम ऑयल और मूंग) पर वायदा व्यापार को एक वर्ष के लिए निलंबित किया था। इसे पिछले तीन वर्षों में दो बार बढ़ाया गया है।
भौतिक बाजार में एक भरोसेमंद संदर्भ मूल्य की अनुपस्थिति के कारण मंडियों में मूल्य में अधिक अस्थिरता देखी गई है।
2021 में SEBI ने सात प्रमुख कृषि जिंसों (गैर-बासमती धान, गेहूं, चना, सरसों, सोयाबीन, क्रूड पाम ऑयल और मूंग) पर वायदा व्यापार को एक वर्ष के लिए निलंबित किया था। इसे पिछले तीन वर्षों में दो बार बढ़ाया गया है।
शोध निष्कर्ष:
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के अध्ययन के अनुसार, जनवरी 2016 से अप्रैल 2024 के बीच सरसों, सोयाबीन, सोया ऑयल और सरसों के तेल पर अध्ययन में पाया गया कि निलंबन के बाद उपभोक्ताओं ने इन जिंसों के लिए अधिक कीमत चुकाई।
IIT बॉम्बे के अध्ययन ने रेखांकित किया कि वायदा व्यापार किसानों और मूल्य श्रृंखला के अन्य प्रतिभागियों के लिए मूल्य खोज और मूल्य जोखिम प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण साधन था।
विशेषज्ञों की राय
प्रो. प्रभिना राजीब (बिरला इंस्टीट्यूट): दुनिया भर में वायदा व्यापार लगातार जारी रहता है, भले ही मांग-आपूर्ति में असंतुलन हो। भारत में इसे बार-बार निलंबित करना, मूल्य स्थिरता में बाधा डालता है।
प्रो. सार्थक गौरव (IIT बॉम्बे): वायदा व्यापार का निलंबन मूल्य निर्धारण और जोखिम प्रबंधन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
सुझाव
सरकार को किसानों की मूल्य जोखिम प्रबंधन में मदद के लिए वायदा बाजार को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना चाहिए। इससे बाजार का विश्वास बढ़ेगा और ट्रेडिंग वॉल्यूम में वृद्धि होगी।