नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025 — देशभर में पीली मटर के दाम में लगातार गिरावट से किसानों और व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। मौजूदा बाजार में पीली मटर ₹3000 से ₹3600 प्रति क्विंटल के दायरे में बिक रही है, जबकि आयातित मटर की कीमतें ₹3000–₹3500 प्रति क्विंटल पर पहुँच चुकी हैं। मांग की कमी और भारी आपूर्ति के चलते बाजार पर दबाव बना हुआ है, जिससे निकट भविष्य में भी किसी ठोस सुधार की संभावना बेहद कम दिखाई दे रही है।
मांग में कमी और स्टॉक की भरमार
मिलर्स की ओर से मांग कमजोर बनी हुई है, और स्टॉकिस्टों के पास पहले से ही पर्याप्त मात्रा में माल उपलब्ध है। दालों की समग्र मांग सुस्त है, और मिलर्स भी केवल जरूरत के अनुसार ही खरीदारी कर रहे हैं। इसके चलते मटर की कीमतों में कोई स्थिरता नहीं आ रही है।
चना के भाव का नहीं पड़ा असर
जहां एक ओर चना के भाव स्थिर बने हुए हैं, वहीं इसका मटर बाजार पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। व्यापारी और किसान इस बात से निराश हैं कि चना की मजबूती भी मटर के बाजार को सहारा नहीं दे पाई।
सरकारी आयात नीति बनी चुनौती
पिछले वर्ष भारत ने लगभग 67 लाख टन दालों का आयात किया था, जिसमें दो-तिहाई हिस्सा पीली मटर का था। चालू वर्ष में भी अब तक एक-तिहाई से अधिक आयात हो चुका है, जिससे घरेलू बाजार पर अतिरिक्त दबाव बना हुआ है। लगातार सस्ते आयात के चलते देशी मटर को उचित कीमत नहीं मिल रही है, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
मांग उठी — शुल्क मुक्त आयात पर लगे रोक
बुंदेलखंड दाल मिलर्स एसोसिएशन सहित कई व्यापारिक संगठनों ने मटर के शुल्क मुक्त आयात पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे देशी किसानों का हित प्रभावित हो रहा है और स्थानीय दाल उद्योग को भी नुकसान हो रहा है।
अत्यधिक आपूर्ति से बिगड़ा संतुलन
बाजार में पहले से आयातित माल की मौजूदगी और नई फसल की तेज आवक ने आपूर्ति का संतुलन बिगाड़ दिया है। इस कारण मंडियों में मटर के दाम और अधिक दबाव में आ गए हैं। कानपुर मंडी में मटर के दाम ₹3725/क्विंटल तक आ गए हैं, जिसमें पिछले सप्ताह की तुलना में ₹75–₹100 की गिरावट देखी गई है। वहीं, मुंद्रा पोर्ट पर रूसी मटर ₹3475/क्विंटल पर बिक रही है।
क्या आगे सुधार संभव है?
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि जब तक देश में मटर की मांग में उल्लेखनीय सुधार नहीं होता और आयात को नियंत्रित नहीं किया जाता, तब तक पीली मटर के दामों में किसी बड़ी रिकवरी की संभावना नहीं है। ऐसे में किसानों और व्यापारियों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की स्थिति को समझकर विवेकपूर्ण निर्णय लें।