मांग-आपूर्ति में असंतुलन के कारण अक्टूबर तक ऊंची रहेगी दालों की महंगाई: विशेषज्ञ

विशेषज्ञों ने अक्टूबर में नई फसल आने तक दाल की ऊंची कीमतों के लंबे समय तक बने रहने को लेकर आगाह किया है, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति प्रभावित होगी। अप्रैल में दालों की महंगाई दर 16.8% थी, जिसमें तुअर 31.4%, चना 14.6% और उड़द 14.3% थी। सरकार ने उत्पादन चुनौतियों से निपटने के लिए शुल्क-मुक्त दाल आयात सहित आयात प्रतिबंधों में ढील दी है।


Opinion 24 May  
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विशेषज्ञों का कहना है कि मांग-आपूर्ति में विसंगति के कारण अक्टूबर में नई फसल बाजार में आने तक दालों की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं, जिससे पहले से ही उच्च खाद्य मुद्रास्फीति पर और दबाव पड़ेगा।

असंख्य उपायों के बावजूद दालों - तुअर, चना और उड़द की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। नियंत्रण में रहना सरकार के लिए चिंता का विषय है।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक पारस जसराई ने कहा कि दलहन मुद्रास्फीति 11 महीनों से दोहरे अंक में है और वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के अंत तक इसके कम होने की संभावना नहीं है। जसराई ने कहा, यह खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ावा देने वाले कारकों में से एक होगा, यदि मानसून की स्थिति अनुकूल नहीं है, तो दाल मुद्रास्फीति और भी लंबी अवधि तक ऊंची रह सकती है।