चना बाजार में पिछले एक साल के दौरान भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। नवंबर 2024 में चने की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर थीं, जहां आरजे लाइन का बंद भाव ₹7300 प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था। लेकिन इसके बाद बाजार में लगातार......पूरी खबर पढ़ने के लिए AMOTRADE डाउनलोड करें
चना बाजार में पिछले एक साल के दौरान भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। नवंबर 2024 में चने की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर थीं, जहां आरजे लाइन का बंद भाव ₹7300 प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था। लेकिन इसके बाद बाजार में लगातार गिरावट आई, जिससे व्यापारियों और किसानों को नुकसान झेलना पड़ा।
जनवरी 2025 तक चना की कीमतें ₹6000-₹6100 प्रति क्विंटल तक आ गईं। इसके बाद फरवरी में बाजार और कमजोर हुआ, जहां एमपी लाइन का चना ₹5900 प्रति क्विंटल के न्यूनतम स्तर तक पहुंच गया। लगातार गिरावट से व्यापारियों में चिंता बढ़ी, और खरीदारी कमजोर पड़ गई।
मार्च 2025 में हल्की रिकवरी देखने को मिली। 6 मार्च 2025 को एमपी लाइन में चना ₹5925 और आरजे लाइन में ₹6025 प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। हालांकि, अभी भी बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है, और व्यापारी सतर्कता से कारोबार कर रहे हैं।
बाजार में गिरावट की वजहें
- सरकारी नीतियां – सरकारी खरीद में कमी और आयात-निर्यात नीतियों में बदलाव ने बाजार को प्रभावित किया।
- मांग में गिरावट – घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चने की मांग कमजोर रही।
- फसल उत्पादन में वृद्धि – अच्छी पैदावार के चलते बाजार में आपूर्ति अधिक रही, जिससे दाम नीचे आ गए।
क्या आगे बाजार में तेजी आएगी?
मार्च की शुरुआत में कीमतों में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि बाजार पूरी तरह से संभल जाएगा। आगे कीमतें सरकारी हस्तक्षेप, आयात-निर्यात नीति और घरेलू मांग पर निर्भर करेंगी। यदि सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद बढ़ाती है और निर्यात को बढ़ावा मिलता है, तो बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है।
निष्कर्ष:
पिछले एक साल में चना बाजार ने ₹7300 से ₹5900 तक का उतार-चढ़ाव देखा है। हाल ही में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी स्थिरता नहीं आई है। व्यापारियों को सतर्क रहना होगा और बाजार के रुझानों पर नजर बनाए रखनी होगी।